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जैन सिद्धान्त दीपिका
दोनों में अन्तर है।
२०. मन की स्थिरता के लिए अनित्य आदि अर्थों (विपयों) का
अनुप्रेक्षण या अनुचिन्तन करना अनुप्रेक्षा (भावना) है।
२१. अनुप्रक्षा के बारह प्रकार है : १. अनित्य
७. आधव २. अणरण
८. गंवर ३. भव
६. निजंग ४. एकत्व
१०. धर्म ५. अन्यत्व
११. लोक ६. अशीच १२. बोधि दुर्लभता। २२. अणुव्रत और शिक्षावन को देणचारित्र (अपूर्ण चारित्र) कहा
जाता है। २३. अणुव्रत पांच हैं :
१. स्थूल हिमा विरति ४. स्वदारसंतोप २. स्थूल असत्य विरति ५. इच्छापग्मिाण ३. स्थूल अचीयं विर्गत
२४. शिक्षाबत सान हैं : १. दिविरति
४. मामायिक २. उपभोगपरिभोगविरति ५. देशावकाणिक ३. अनर्थदण्डविरति ६. पोषधोपवाम
७. यथासंविभाग