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श्रीकृष्ण-कथा-छोटी उन वडे काम लगे । विद्याधर सूर्पक के पुत्र का विचार था कि दोनो ओर से वृक्षो के दवाव द्वारा श्रीकृष्ण का प्राणात कर दिया जाय।
श्रीकृष्ण दोनो वृक्षो के वीत्र मे ऐसे फंस गए मानो त्रक्की के दो पाटो के मध्य अनाज का दाना।
तत्काल श्रीकृष्ण के रक्षक देव सचेत हुए। उन्होने उन अर्जुन जाति के वृक्षो को भग करने के लिए तीव्र प्रहार किया। दोनो वृक्ष जड सहित तडतड़ाहट की आवाज के साथ उखड कर गिर गए ।'
१ उत्तर पुराण के अनुसार
मथुरा नगर मे अकस्मात् वहुत से उपद्रव होने लगे तब कस के पूछने पर वरुण नाम के निमित्तज्ञानी ने बताया कि 'तुम्हारा शत्रु उत्पन्न हो चुका है।' यह सुनकर उसको (कस को) वहुत चिता हुई। तव पहिले जन्म की देवियाँ आई । कम ने उनसे कहा-'मेरे शत्रु को मार डालो।' देवियाँ वासुदेव को मारने के लिए गोकुल जा पहुची।
(श्लोक ४१६-४१८) (१) पूतना नाम की देवी ने स्तनो पर विष लगाकर वासुदेव को मारने का प्रयास किया किन्तु किसी दूसरी देवी ने उसे ऐसी पीडा पहुचाई कि वह भाग गई।
(श्लोक ४१८) (२) दूसरी देवी गाडी का रूप रखकर आई किन्तु कृष्ण ने लात मार कर उसे तोड दिया।
(श्लोक ४१६) (३) दो देवियो ने वृक्षो का रूप बनाया किन्तु कृष्ण ने उन्हे जड से उखाड दिया ।
(श्लोक ४२२) (४) एक देवी ने गधी का रूप बनाकर उन्हें मारना चाहा तो कृष्ण ने उनके पैरो पर उन दोनो वृक्षो को हो पटक दिया।
(श्लोक ४२३) (५) एक देवी ने घोडी का रूप बनाकर उन्हें मारने की चेष्टा की तो कृष्ण ने उसे बहुत प्रताडित किया।
(श्लोक ४२४) इस प्रकार परास्त होकर सातो देवियाँ कस के पास जाकर बोली कि हम उसे नहीं मार सकती और वे अतर्धान हो गई । (श्लोक ४२५)
इस प्रकार कृष्ण को मारने के लिए कस सात देवियो को भेजता है।