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'दया-दान पर आचार्य भिक्षु का जैन शास्त्रसम्मत दृष्टिकोण' सर्वोदय ज्ञानमालाका छठा पुष्प है। जिसका उद्देश्य विशुद्ध तत्त्व-ज्ञानके साथ भारतीय और जैन-दर्शनका प्रचार करना है। प्रस्तुतः ग्रन्थके प्रकाशनमें रामगढ़ (शेखावाटी) निवासी श्री रावतमलजी बाठियाने अपने स्व. पिताश्री दानमलजी की स्मृतिमे नैतिक सहयोगके साथ आर्थिक योग देकर अपनी सांस्कृतिक व साहित्य-सुरुचिका परिचय दिया है, जो सबके लिए अनुकरणीय है। हम आदर्श-साहित्य-संघकी ओर से सादर आभार प्रकट करते हैं।
-प्रकाशन मन्त्री