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. * छटा परिच्छेद *
******※※※※※ - बाजी ।
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हस्तिनापुर में सभा मण्डप (भवन) तैयार हो जाने पर शकुनि और दुर्योधन का सिखाया-पढाया जयद्रथ इन्द्रप्रस्थ पहुचा। प्रचानक जयद्रथ के इन्द्रप्रस्थ पहुच जाने पर युधिष्ठिर ने उस का बंडा आदर सत्कार कर के पूछा - कहिए, हस्तिनापुर मे तो सब सकुशल हैं ?"
जयद्रथ बोला-"सभी सकुशल एव प्रसन्न हैं। आप को हस्तिनापुर ले चलने के लिए आया हू ।" ___युधिष्ठिर ने गद गद हो कर कहा-"अहो भाग्य 1. मुझे चाचा जी ने याद किया। क्या कोई उत्सव हो रहा है ?" .
__ "धृतराष्ट्र ने हस्तिनापुर मे एक सुन्दर सभामण्डप बनवाया है, वास्तव में आज पृथ्वी पर उस के समान सुन्दर एव मनोहर अन्य कोई भवन नही होगा। लाखों रुपये व्यय कर के बनवाया हुआ यह भवन सभी को पसन्द आया है, पसन्द ही नही, देखने वाले उस की मुक्त कण्ठ से प्रशसा कर रहे हैं। दुर्योधन की इच्छा थी कि आपको भी वह भवन दिखाया जाय। अत धृतराष्ट्र ने आप को अपने परिवार सहित हस्तिनापुर चलने का निमंत्रण देने के लिए भेजा है।" जयद्रथ ने कहा।
धर्मराज युधिष्ठिर ने धृतराष्ट्र के निमत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया। अपने अन्य भ्राताओ को बुलाकर उन्हो ने धृतराष्ट्र का निमत्रण और अपना चलने का निर्णय सुना दिया। सभी भ्राता