________________
दुर्योधन का अन्त
यह सुन दुर्योधन ने भीम से गदा युद्ध करने की इच्छा प्रगट की । भीम सेन भी राजी हो गया और गदा युद्ध प्रारम्भ हो गया । दोनो की गदाए जब परस्पर टकराती तो उनमे से चिनगारिया निकल पडती थी। इस प्रकार बडी देर तक युद्ध जारी रहा ।
५९३
दोनो मे जीत इशारो मे ही
इसी बीच दर्शक आपस मे चर्चा करने लगे कि किस की होगी उस समय श्री कृष्ण ने अर्जुन से बताया कि यदि भीमदुर्योधन की जाघ पर गदा मारेगा तो जीत जायेगा भीम सेन ने उस सकेत को देख लिया और आव देखा न ताव एक गदा पूरा शक्ति से दुर्योधन की जघ पर दे मारी । जाघ पर गदा लगनी थी कि दुर्योधन पृथ्वी पर कटे पेड़ की भाति गिर पडा । यह देख भीम सेन और उन्मत्त हो गया। मन मे बसी घृणा क्रोध के साथ उवल पडी । उसी उन्मत्त दशा मे उसने घायल पडे दुर्योधन के माथे पर जोर की लात जमाई ।
उसका यह कार्य श्री कृष्ण को अच्छा न लगा उन्होने बहुत बुरा भला कहा । भीम सेन चुप रह गया दुर्योधन जाँघ टूट जाने के कारण अधमरी अवस्था मे वही पड़ा रहा । और पाण्डव अपने शिविर की ओर लौटने लगे तो दुर्योधन ने श्री कृष्ण को बडी जली कटी सुनाई ।