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जैन महाभारत
बाज़ कबूतर की ओर झपटता है।।। -: :___ दुःशासन ने भीम को अपनी ओर झपटते हुए देख कुछ घबरा सा गया, फिर भी वह वहां खड़े रहने पर विवश था 'बाण धनुष पर चढाकर उसने भीम पर प्रहार किया ही था कि भीम ने अपने वाण से उसके वाण को तोड डाला और धनुप को काट डाला । उसके बाद उसने एक छलाँग मारी और दुःशासन को धर दाबा ।' दोनो भुजानो मे उसे दाब कर नीचे गिरा दिया, फिर लगा उसके हाथ पांव तोडने । घूसो की मार से ही दु.शासन अधमरा हो गया। नीचे पडा पडा ही वह गाली वके जा रहा था और भीम सेन" उसे' इस प्रकार मार रहा था जैसे कुम्हार मिट्टी को ठीक करने के लिए ऊपर घुसे लगाता है। थोड़ी ही देरि में भीम ने दु.शासन ' का एक हाथ तोड कर फेंक दिया । वह दृश्य बड़ा ही-वीभत्स था । भीम उसे मार रहा था और कहता जाता था - "वुला कौन है तेरा सहायक ? देखू तो कौन आता है तुझे बचाने के लिए ? मूर्ख । द्रौपदी को असहाय देखकर तो तूने अपनी वोरता दिखाने के लिए नीचता पूर्ण कार्य किए और उस पर भो अपने पर गर्व करता रहाव अंबवता कौन है जो तेरी-मुझ से रक्षा कर सके ? कौन है जो तुझे छुडा सके ?"
भीम सेन की मार से दुःशासन के प्राण पखेरू उड गए। इस प्रकार भीम ने उसका रक्त बहा दिया उस समय भीम सेन का रूपं वडा भयानक था । वह उठा और चारो ओर आनन्द तथा गर्व से नत्य सा करने लगा, उस समय उसके भाषण रूप को देखकर कौरव सैनिक कांप उठे । भीम ने सिंह नाद किए और ार्ज़ना- की-"कहा है दुःशासन का दुष्ट भाई-दुर्योधन-! ,अब उसका नम्बर है।। कहाँ. छुपा बैठा है, मेरे सामने आये ताकि उसे भी शीघ्र ही यमलोक पहुचा दू । अब वह मरने को तैयार हो जाय।"
! .. __ . उस समय भीम की सिंह गर्जना, उसके भयानक रूप और उसकी दहाड़े कौरवो का दिल दहला रही थी। यहा तक कि-एक वार तो कर्ण भो काप उठा । कर्ण की-ऐसी दशा, देख कर- शल्य ने उसे दिलासा देते हुए कहा :-... ... .......-: ---
“कर्ण ! तुम जैसे वोर को साहस त्यागना शोभा नहीं देता। दुःशासन की मृत्यु से दुर्योधन बहुत-शोकातुर हो गया है अव-उसकी