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________________ जयद्रथ वध ५६९ ram.... रथ पर जा चढे, उसे भा भीम ने अपनो गदा से चूर चूर कर दिया । तब विवश हो द्रोण एक और रथ पर जा चढं, क्रुद्ध होकर पागल हाथी की भाति भीम उस रथ की ओर भागा और इससे पहले कि द्रोण अपने वाणो से उसको गति को रोक पाये उसने उस रथ को अपनी बलिप्ट भुजाओ से ऊपर उठा लिया और ऊपर की ओर फेंक कर अपने रथ पर आ चढा । द्रोण उस बार भी बडी कठिनाई से वच सके। भीम सेन इस प्रकार गुरु ऋण चुक. कर आगे बढ़ गया। ‘स्मरण रहे कि इस अदृसुत बल-प्रदर्श क के कारण हो भीम को मदोन्मत्त हाथी की उपमा दी जाती है, वास्तव मे उसमे विचित्र वल था। वह अपनी गदा घुमात। हुअा कौरव सेना पर टूट पडा और असख्य सनिको को यमलोक पहुचाता हुआ व्यूह मे घस गया। - उस दिन उसने द्रोण के कई रथ तोड़े थे, जिससे कौरव-निक भय -विह्वल हो गए थे और उसके सामने पड कर युद्ध करने का साहस उन्हे न होता था वह कोरव सेना को चीरता फोडता जा रहा था कि भोजो ने उसका सामना किया। परन्तु जिम प्रकार अग्नि सूखे वन को जला कर भस्म कर डालती है, इसी प्रकार भीमं ने भोजो को भी नष्ट कर डाला और आगे बढ़ने लगा । जितने भी सैनिक - वल उसके सामने आये उन्हे भारता, पछाडता वह आगे ही वढा। - कही बाणो से वार करता तो कही गदा से सनिको का सहार करना आखिर वह उस स्थान पर पहुच हा गया जहा अर्जुन जयद्रथ की सेना से लड रहा था। E अर्जुन को सुरक्षित देखते ही भीम सेन ने सिंह नाद किया। - भीम का सिंह नाद सुन कर श्री कृष्ण और अर्जुन प्रानन्द के मारे छल पड़े और उन्होंने भी जोरो से सिंह नाद किया । इन सिह दो को सुन कर युधिष्ठिर बहुत ही प्रसन्न हुए । उनके मन के क के बादल हट गए। उन्होने अजुन को मन ही मन आशीर्वाद दया। वे सोचने लगे-"अर्जुन अवश्य ही सूर्यास्त से पूर्व जयद्रथ वध कर देगा । उसके करने से दुर्योधन का साहस टूट जायेगा। ीष्म पितामह के वध के उपरान्त यह दूसरी बडी क्षति दुर्योधन को होगी, जो उसकी कमर तोड़ देगी। इससे वह युद्ध के भावी परिणाम
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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