SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 572
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६४, जन महाभारत जैसा ऊचा वीर कही देखने को भी न मिलेगा। उस ओर तो देखो ! आकाग मे कैसी धूल उड़ रही है। अर्जुन जरूर 'शत्रुनो से घिरा, हुआ है और सकट मे है । जयद्रथ कोई असाधारण' महारथी नही, फिर उसकी रक्षा के लिए आज कई महारथी अपने प्राणो की बाजी लगाने को तैयार है 'तुम अभो ही इसी घड़ी अर्जुन को सहायता को चले जाओ। --- ।' कहते कहते युधिष्ठिर वडे ही अधीर हो उठे। महाराज युधिष्ठिर के बार वार अाग्रह पर सात्यकि ने नम्न भाव से कहा-'धर्मराज! आपकी आज्ञा मेरे सिर-पाखो पर है और फिर अर्जुन के लिए मैं क्या नही कर सकता ? मैं उसके लिए अपने प्राण भी न्योछावर कर सकता हू, आपकी आज्ञा होने पर-तो मैं एक वार देवताओ से भी टक्कर ले सकता हूं। परन्तु मुझे-वासुदेव और धनंजय चे जो अाज्ञा दी है, वह भी, मुझे याद है : उसी, के कारण मैं आपको अकेला नहीं छोड़ सकता।" उतावले होकर युधिष्ठिर पूछ बैठ- वह कौन सी आज्ञा है, जो मेरी आशा के रास्ते मे रोडा बन गई है ?". " "महाराज ! रुष्ट न हो। उन्होने, जाते. समय मुझ से कहा था कि-'जब तक हम दोनों जयद्रथ का वध करके न लौटे तब तक तुम युधिष्ठिर की रक्षा करते रहना । खूब सावधान रहना, तनिक सी भी असावधानी न हो । तुम्हारे ही भरोसे हम युधिष्ठिर को . छोड़ जाते हैं. 'द्रोण की प्रतिज्ञा को ध्यान में रखना और उनकी रक्षा में प्रत्येक प्रकार को बाजी, लगा देनां ।' -अब आप ही, बताईये - मैं कैसे यहा से जा सकता हूं ? वे मुझ पर भरोसा- करके इतनी बडी ज़िम्मेदारी डाले गए हैं।"- सात्यकि ने विनीत भाव से कहा। . "जिसके आदेश की तुम्हे इतनी चिन्ता है उसके प्राणो की तुम्हे तनिक भी चिन्ता नहीं । तुम इसी, समय उसके काम न । प्रायोगे, तो कत्र आवेगी तुम्हारी मित्रता ?- आवेश मे आकर , युधिष्ठिर बोले। "महाराज ! मुझे विश्वास है कि शत्रुओं की सम्मिलित - शक्ति धनजय की शक्ति के सोल्हवें भाग के समान भी नही है। धनजय अंजेय है। आप व्यर्थ ही चिता कर रहे है ।"- सात्यकि ने कहा।
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy