________________
जैन महाभारत
याद रख कि तेरी मृत्यु का सन्देश आया रक्खा है। . "छोकरे ! पहले अपनी मां से तो विदा ले ली होती, जाकर देख उसके स्थनो से दूध चू रहा होगा।" हिररायनाम ने अकड कर कहा और स्वय भयकर वार करने प्रारम्भ कर दिए, अपने सरदारो को उत्तेजित करने के लिए उसने ललकारा-"देखते क्या हो,शत्रु को भागने का अवसर भी मत दो, वह देखो, उनकी-मौत उनके सर नाच रही है, वहादुरो आगे बढो, विजय तुम्हारी बाट देख रही।"
सरदारों ने मिल कर घोर सग्राम करना . प्रारम्भ कर दिया, यह देख कर भीम, अर्जुन और यादवो को भी जोश आ गया, भीम, ने अकड कर कहा-"वीरो, गीदडो की भवकियो की चिन्ता मत करो, जिनके हाथ मे शक्ति नही होती, वे जवान चलाया करते हैं। तनिक इन्हे अपने बाजुओ की गति तो दिखादो।" सभी जोश से लडने लगे।
हिरराय नाम अनाधृष्टि को मारने के लिए दात पीस कर, तलवार लेकर वढा, अनावृष्टि भी रथ से उतर पडा और तलवार हाथ मे ले कर यह कहता हुआ आगे वढा-- "अरे दुष्ट मामा, देखता हूं तेरी तकदीर मे भी भानजे के हाथो ही मरना लिखा है। तो चल ले मैं ही तुझे यमलोक पहुचाता हू।" , हिरराय नाम क्रोध से पागल हो उठा, बोला--मूर्ख अपने उन भाईयो से मिलना चाहता है तो आ मेरी तलवार तुम जैसो को यमपुरी पहुचाने मे बहुत माहिर हू ? । 'अरे पापी ! तूजीवित रहा तो मुझे बार वार मामा कहते हुए लज्जा आयेगी। आ चल तुझे यम महाराज के पास पहुचा दू ।" इतना कह कर अनाधप्टि ने तलवार का वार इस जोर से किया कि हिरराय नाम का सिर धड़ से अलग हो कर धूल मे जा मिला। फिर अप्टावीग को भी उसने मार गिराया। . भीम और अर्जुन ने अनाप्टि की वीरता देख कर कहा"वाह, वाह, वास्तव मे सिंहनी का सिंह ववर है।” इन दो वीरो