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मृत्यु का रहस्य
जो दिन मे घावो के कारण अर्ध मृत तक के समान हो चुके थे। कोई कोई घायल ऐसा है कि जिसका समस्त शरीर बाणो से छलनी हुआ हैं, पर ज्यो ही गहरे घावो पर औषधियो का लेप हुआ, तत्काल ही उसकी पीडा लुप्त हो गई और निद्रा का लिगन कर वह सुखद स्वप्नो मे खो गया, कुछ घण्टो बाद जब प्राची लाल हो उठेमो, वह घायल पुणतया स्वस्थ होकर उठ बैठेगा और फिर · शत्रुना के सम्मुख उनके लिए एक समस्या बन कर खडा हो जायेगा।।
थके मान्दे योद्धामो के शरीरो पर भी औषधि मिश्रित जले व तेलो का लेप कर दिया गया है, जिससे उन्हे विशेष रूप से सुख । प्राप्त हो रहा है और अब वे आपस मे हस बोल रहे है। इस समय उनकी बातें यह प्रगट करती है कि दिन भर वे जिनसे जूझते रहे, वास्तव में वे उनके श्रद्धाल भक्त अथवा प्रगमक और अपने हैं। उनके प्रति इनके हृदय मे असीम स्नेह व आदर है। यदि कोई नही जानता कि यह युद्ध के क्षेत्र मे क्यो आये है तो यह जानकर कि जिनको वे प्रशसा कर रहे है दिन भर उन्ही के प्राणो के वे भूख । रहे. उसे अमीम पाश्चर्य से, बल्कि इस बात पर उसे विश्वास ही न हो। . सेना शिविर के पास ही अश्व, हाथि अादि पशुमो के लिए विश्राम लय बने है, जिनमे सेवक लोग उनकी उत्साह तथा जम्मदारी से सेवा कर रहे है उन्हे पौष्टिक पदार्थ खिलाए जा रहे है और अभी २ उन्हे मालिश करके थकान से युक्त किया गया है । · · एक पहर रात्रि जा चुका है और कौरव तथा प ण्डव वीर अपना अपना शय्या रर पहुच गए है कुछ जो बहुत थके थे. खर्राट भरने लगे और कुछ सोने का प्रयास कर रहै है । परन्तु एक शिविर ह, पाण्डव सनिक छावनी मे जिस मे से अभी भी बातचीत की ध्वनिपा रही है। कोई कह रहा है ।
• "केशव । नौ दिन हो गए पर पूर्ण शक्ति मे लडने.पर , भी हम कौरव सेना को पछाड नही पाये। उलटे, हमे अपने कितने ही वीगे से हाथ धोने पडे स्वय मैं अपने पुत्र ईरावान को भी खो चुका जिस समय मुझे उस वोर को याद आती है, तो आखें बरबस बरस पड़ने को उतावली हो जाता है हृदय घटने लगता है मधु सूदन ! कभी कभी तो घोर निराशा के वादेल मेरे मानस नभ पर छा जाते