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नौवां दिन
मसलते रहे। पाण्डव-सेना में हाहाकार मचता रहा श्री कृष्ण रह रह कर अर्जुन को जोश दिलाते रहे। अर्जुन तीक्ष्ण बाण चलाया रहा। पर जैसे भयकर बाढ के आगे छोटे छोटे वाध ठहर नही पाते इसी प्रकार प्रलय मचाते भीष्म जी के प्राणहारी वाणो की बाढ के आगे अर्जुन के तीक्ष्ण बाण कुछ न कर पाते । पाण्डव-सेना में हाहाकार मच गया और सैनिक अपने प्राण लेकर भागने लगे।' अजुन के साथ भीमसेन भी आ गया और उसने भी अपने रणकौशल के सहारे भीष्म जी के तूफान को रोकने की चेष्टा की। पर पव ध्यर्थ । ऐसा लगता था मानो आज भीष्म जी पाण्डवों का वध्वस करके रहेगे। कौरवो की सेना में सिंहनाद और शखनाद हाने लगे और युधिष्ठिर के मंह पर हवाईया उड़ने लगी। श्री कृष्ण बार बार अर्जुन को ललकारते रहे। सात्यकि, धृष्टद्युम्न, विराट पार द्रुपद. नकुल व सहदेव के साथ अपनी सम्पूर्ण शक्ति से भीष्म ना के साथी महारथियो पर वार करते रहे पर पाण्डव सेना का साहस टूट रहा। धडो म सर कट कट कर गिर रहे थे। कही.
थयों को विधा सूनाई देती तो कहो संनिकों के चीत्कार । रणस्थल, मे घोडो. हाथियो और मनुष्यो के शबो का ढेर लग गया। पावाप्रो के रथ शवो पर होकर निकल रहे थे। ...
तभा पश्चिम दिशा मे भास्कर डूब गया और अधकार ने सपना हरा डालना प्रारम्भ कर दिया। पाण्डवो की ओर से युद्ध न्दि होने का शख बज गया और भोम जी को प्रलय का परिच्छेद न्दि करना पड़ा। कौरवों की सेना ने विजय घोष किए। पाण्डवो
र लटक गए। दोनो सेनाए अपने अपने शिविरो की ओर,
रल पड़ी।
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