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________________ जैन महाभारत सहार के लिए जी जान तोड कर लडनेलगे। द्रोणाचार्य ने क्रुद्ध होकर सोमक और सज्जयो पर आक्रमण किया और उन्हे यमलोक भेजने पर उतारू हो गए। उस समय सज्जयो मे हाहाकार मच गया। दूसरी ओर महाबली भीमसेन कौरवो पर मृत्यु देव की भाति टूट रहा था। दोनो अोर के सैनिक एक दूसरे को मारने लगे। रक्त की नदी बह निकली। उस घोर संग्राम मे कितने ही सुन्दर वीरवर धूल मे लुढकने लगे। बडे बडे योद्धामो के शरीर धोडो तथा हाथियो के पैरो से रौंदे जा रहे थे। भीष्म जी घोर सलाम कर रहे थे उनके बाणो से कितने ही घोडे और हाथी पृथ्वी पर लुढक रहे थे। उधर नकुल और सहदेव कौरवो के अश्वारोहियो और उनके घोडो को बुरी तरह मार रहे थे भीमसेन अपनी गदा लेकर कौरवो के हाथियो पर टूट पडा था, भेरु समान हाथी क्षण भर मे गदारो की मार से पृथ्वी पर ढह जाते थे। अर्जुन ने कितने ही राजायो का सिर धड़ से अलग कर डाला था, जो सिर किसी के सामने नही झकते थे अर्जुन के कारण घोडो की ठोकरो मे पडे थे। उस समय का युद्ध सागर मे आते जवारभाटे की भाति चल रहा था जब भीष्म द्रोण, कृप और अश्वस्थामा एक साथ मिल कर कद्व हो युद्ध करते तो पाण्डवो की सेना का सहार होने लगता और जब अर्जुन, भीम, विराट, अभिमन्यु आदि कुपित होकर टूटते तो कौरव सेना का संहार होने लगता। इस प्रकार दोनो ओर की सेना का रक्त मिट्टी मे मिल रहा था। फिर भी बेचारे दुर्योधन को बडी चिन्ता थी। भास्कर का रथ अपने निचित पथ पर अग्रसर हो रहा था। पंप काफी तेज हो गई थी। और यद्ध की गरमी भी बढती जा रही थी। वीरो का विनाश करने वाला भीपण युद्ध · अधिकाधिक भीषण रूप धारण करता जाता था कि शकुनि ने पाण्डवो पर धावा किया । अाक्रमणकर्तायो मे कृत दर्मा भी एक बडी सेना सहित था। जव पाण्डवो का व्यूह तोड कर शकुनितथा गाधार देश के अन्यान्य वीर अन्दर धस गए और पाण्डव वीरो का संहार करने लगे तो इरावान से न रहा गया। इरावान अर्जुन का पुत्र था। उसन अपने साथी वीरो को ललकार कर कहा-“वीरो! देखते क्या हो इन “दुप्टो को चारो ओर से घेर कर मार डालो। देखो, कोई बच कर
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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