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जैन महाभारत
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देर मे कलिंग सेना में हाहाकार मच गया और सैनिक यह कहने लगे कि कही यमराज ही तो भीम सेन के रूप मे नही आगए एक बार सेना में निराशा छा जाने से सारी सेना भाग खडी हुई। यह देख भीष्म जी अर्जुन के मुकाबले से हट कर भीम सेन की प्रोर बढ़े। सात्यकि, अभिमन्यु आदि पाण्डव वीर उस समय भीमसेन की रक्षा को दोड़ पड़े और भयंकर युद्ध हाने लगा । जिस के कारण कौरव सेना का साहस टूट गया और सैनिक पश्चिम की दिशा मे देखने लगे और सूर्य के अस्त होने की कामना करने लगे । निर्दय सूर्य अस्त हुआ । सन्ध्या हुई । तो भीष्म द्रोणा चार्य से बोले - "आचार्य ! अब युद्ध रोकना ही होगा। आज हमारी सेना का साहस टूट गया है ।"
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युद्ध बन्द होगया और अर्जुन आदि पाण्डव वीर विजय के बाजे बजाते हुए अपने डेरो में बिले गए । कल पाण्डव सेना मे जो आतक छाया था वह ग्राज कौरव सेना मे छा गया ।