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* चौबीसवाँ परिच्छेद **
मामा विपक्ष में
इस प्रकार श्री कृष्ण ने अर्जुन का सारथी बनना स्वीकार किया और पार्थ सारथी की पदवी पाई ।
मद्र देश के राजा शल्य नकुल तथा सहदेव कीं मा माद्री के भाई थे । उन्हें एक सन्देश वाहक के द्वारा समाचार मिला कि उन के भानजे पाण्डव उप्पलव्य नगर ( विराट की राजधानी के निकट ) मे अपना खोया राज्य वापिस लेने के लिए युद्ध की तैयारिया कर रहे हैं तो उन्होने एक बड़ी भारी मेना एकत्रित की और उसे लेकर पाण्डवो की सहायता के लिए उसे नगर की ओर चल पडे, जहाँ पाण्डव युद्ध की तैयारिया कर रहे थे । ।
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कहा जाता है कि शल्य की सेना इतनी बडी थी कि रास्ते मैं चलते हुए वे जहा कही भी पडाव डालते, उनकी सेना का पडाव एक योजन से कुछ अधिक (लगभग मील) तक लम्वा फैल जाता । - इतनी विशाल सेना के यात्रा करने का 'समाचार दूर दूर तक फैल
गया ।
यह बात दुर्योधन तक भी पहुंची। वह सोचने लगा. इतनी विशाल सेना का पाण्डवों के पक्ष में चला जाना संकट का कारण * बन सकता है । इस लिए किसी प्रकार शल्य को अपनी ओर मिला