________________
२७०
जैन महाभारत
इस प्रस्ताव को सभी ने स्वीकार किया और निश्चयानुसार अपने भाई बन्धुप्रो एव मित्रों को बुलाने के लिए दूत भेज दिए गए। ___+ + + + + + x
भाई वलराम, अर्जुन की पत्नी सुभद्रा तथा पुत्र अभिमन्यु और यदुवंश के कई वीरों को लेकर श्री कृष्ण पान्डवों के निवास स्थान पर आ पहुचे। उनके आगमन का समाचार पाकर पाण्डवो तथा राजा विराट ने उनका हार्दिक स्वागत किया।
इन्द्र सेन, काशी राज. और वीशव्य भी अपनी अपनी सेनाओं के मुख्य नायको सहित वहां पहुंच गए। पांचाल राज द्रुपद के साथ शिखण्डी और द्रौपदी का भाई धृष्टद्युम्न तथा द्रौपदी के पुत्र भी वहा आ पहुचे। और भी कितने ही राजा अपनी अपनी सेनएं लेकर युधिष्ठिर के पास आगए।
सर्व प्रथम विधि पूर्वक अभिमन्यु के साथ उत्तरा का विवाह किया गया। इस के पश्चात विराट राजा के सभा भवन मे सभी आगन्तुक राजा लोग एकत्रित हुए।
विर ट राजा के पास श्री कृष्ण तथा युधिष्ठिर बैठे, द्रुपद के पास बलराम तथा सात्यकि। और द्र पद के पुत्र, अन्य पं.ण्डव तथा पाण्डवो के पुत्रं स्वर्ण जटित सिंहासनो पर जा बैठे। समस्त . प्रतापी राजाओ के अपने अपने आसनो पर विराज मान होने के उपरान्त श्री कृष्ण युधिष्ठिर से कुछ बातचीत करने के पश्चात उठे और कहने लगे .
"सम्मान्य वन्धुग्रो तथा वीर मित्रो | सबल पुत्र शनि ने कपट द्यूत मे हराकर महाराज युधिष्ठिर का राज्य जिस प्रकार हथिया लिया और उन्हें बनवास तथा अज्ञात वास के नियम में बाध दिया. यह सब तो पापको ज्ञात ही है। पाण्डवो ने अपनी प्रतिज्ञा निभाने के लिए कितने प्रकार की दुसह कठनाईयो को झेला, श्रार तेरह वर्ष तक कैसे कैसे दारूण दुख भोगने पडे, इसे बताने का आवश्यकता नहीं है। पाण्डव उस समय भी अपना राज्य वापित लेने मे समयं थे, परन्तु वे सत्यनिष्ठ थे, उन्हे वल से अधिक धम