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जैन महाभारत
इस धृष्टता के लिए क्षमा करता हू और आदेश देता हूं कि आप तुरन्त यह स्थान रिक्त करले ।"
"और यदि हम ऐसा न करे तो... ..
राजा दात पीसने लगा।
क्रुद्ध न होइये। आप यह बताइये कि यदि कोई अपना उचित स्थान स्वय ग्रहण करले, तो क्या वह अपराध करता है ?"
"लेकिन आप लोग सेवक है राजकुमार नही ।"
"आप की सेवा करते रहे तो इसका यह अर्थ तो नहीं कि हम राजकुमार ही नही रहे ।" . . .
"अच्छा प्राप,ऐसे नही मानेगे?" "देखिये आप हमे सेवक समझना ही छोड दे तो अच्छा है।" - "तो क्या समझू आप को?", ", .. "यही कि हम पाँचो राजकुमार है।" "भाँग तो नही खाली है ?" "यदि यही प्रश्न कोई आप से करे ?" ।
"तो उसका उत्तर बल पूर्वक दिया जायेगा। आप लोग मुझे । वल प्रयोग के लिए विवश न करे।"
___ इस प्रकार वातो-बातों में ही झझट खडा होते देख युधिष्ठर (कक) ने बीच में हस्तक्षेप करना आवश्यक समझा और वे वोले---राजन् ! आप रुष्ट न हों। भीमसेन ठीक कहता है।"
भीम का नाम सुन कर राजा विराट आश्चर्य चकित रह गए। बौले--"भीमसेन कौन ?
"पाप भीम सेन को नही जानते ?"