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________________ पाण्डव प्रकट हुए २६१ कोई सेना नही हराई। मैंने कोई गौ नही छुड़ाई। राजकुमार की बात सुन कर राजा की आँख फैल गई। "क्या कह रहे हो तुम?" "ठीक ही कह रहा हू पिता जी।" "तो फिर कौरव सेना को किस ने मार भगाया ?" "वह तो किसी देव कुमार का चमत्कार था। उन्हो ने हो कौरव सेना को तहस नहस करके गौए छुडा ली। मैं तो बस देखता ही रहा।" बडी उत्कठा के साथ राजा ने पूछा-"कौन था वह देव कुमार ? कहा हैं वह ? उसे अभी ही बुला लाओ। मैं उस के दर्शन कर अपनी आखें धन्य करना चाहता हू, जिसने मेरे पुत्र को मृत्यु के मुह से बचाया और मेरे शत्रु को परास्त कर के हमारा गौधन उन से मुक्त करा लिया। मुझे बतायो वह कौन है। मैं स्वय उसके दर्शन करूगा ।" "पिता जी! वह महान अात्मा अचानक प्रकट हुए और अपना चमत्कार दिखा कर अनायास ही अतद्धान होगए। सम्भव है शीघ्न ही पुन यही प्रकट हो।"- राजकुमार बोला। उस ने यह वात इस लिए कही कि अर्जुन ने उस से उसके बारे मे कुछ न बताने का वचन ले लिया था। राजकुमार की विजय के उपलक्ष मे राज्य मन्त्रियो ने एक विशेष उत्सव का आयोजन किया, जिस मे राजा के सभी प्रमुख ' व्यक्तियो, सेना के मुख्य नायको और मुख्य कर्मचारियो को निमनि१ त्रत किया। उस विशेष दरबार मे राज्य के कोने कोने से प्रसिद्ध । प्रसिद्ध कलाकार निमन्त्रित किए गए थे। सभास्थल बहुत ही मनमोहक एव आकर्षक ढग से सजाया गया था। नृत्य तथा अन्य कला प्रदर्शनो का भी प्रबन्ध था। वह उत्सव राज्य के इतिहास मे
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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