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________________ कौरवो के वस्त्र हरण २४३ अर्जुन ने दो दो बाण प्राचार्य द्रोण और पितामह भीष्म की ओर . इस प्रकार मारे कि जो उनके चरणों में जाकर गिरे। इस प्रकार अपने बड़ों की बन्दना करके अर्जुन ने दुर्योधन का पीछा किया। पहले तो अर्जुन ने गाये भगा ले जाने वाली सेना की टुकडी __ के पास जाकर बाण वर्षा की। तीव्र गति से हो रही बाण वर्षा के कारण सेना तनिक सी देर मे ही इस प्रकार तितरबितर हो गई जैसे मिट्टी के ढेलो की मार से काई। सैनिक प्राणो को लेकर भागने लगे और अर्जुन ने उनके अधिकार से गोमो को मुक्त करा लिया। फिर ग्वालो को गाये विराट नगर की ओर लोटा ले जाने का आदेश देकर अर्जुन दुर्योधन का पीछा करने लगा। अर्जुन को दुर्योधन का पीछा करते देख कर भीष्म आदि सेना लेकर अर्जुन का पीछा करने लगे और शीन ही उसे घेरकर बाणो की बौछार करने लगे। अर्जुन ने उस समय अद्भुत रण-कुशलता का परिचय दिया। सब से पहले उसकी कर्ण से टक्कर हुई। कितनी ही देरी तक कर्ण अवाध गति से बाण वर्षा करता रहा । अर्जुन तथा कर्ण का युद्ध देखकर कितने ही सैनिको के होश जाते रहे। कुछ ही देर बाद अर्जुन ने एक ऐसे दिव्यबाण का प्रयोग किया कि कर्ण घायल हो गया और फिर उसे सभलमे का तनिक सा भी अवसर न दे बाणो पर बाण मारता रहा। कर्ण बुरी तरह घायल हुआ और अन्त मे उसे भागते ही बना। F . तब द्रोणाचार्य ने उसे ललकारा-"अर्जुन | अब सम्भलो। - मावधानी से युद्ध करो।" अर्जुन ने वाण छोडकर प्रणाम किया और बोला-"गुरुदेव ! । आप भी सावधानी से सामने प्राइये। . . दोनो मे भयकर युद्ध होने लगा। कितनी ही देर तक दोनो ओर से बाण वर्षा होती रही। अन्त मे द्रोणाचार्य ने दिव्या. स्त्री का प्रयोग प्रारम्भ कर दिया, पर उन अस्त्रो को अर्जन वीच - ही में अपने अस्त्रो द्वारा प्रभाव हीन कर देता। फिर अर्जुन ने - दिव्यास्त्रो का आक्रमण किया, जिसे द्रोणाचर्य सभाल न पाये और
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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