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जैन महाभारत
ग्टने वाले तथा विक्षा देने वाले हो हो, पर राजायो को जुएं में हगकर उनका राज्य छीनने तथा वनो मे भटकने के लिए भेजने को वात हमने न क्षत्रियोचित धर्म मे देखो है ' और न शास्त्रों में पढी है। फिर जो लोग युद्ध के द्वारा राज्य जीतते हैं वे भी अपने मुंह मे अपनी डीगे नहीं हॉको करते। तुम लोगों ने कौनमा भार पहाड़ उठा लिया जो ऐसी शेखी बघार रहे हो?' अग्नि चुप चाप सब चीजो को पकाती है, सूर्य चुप चाप सब जगह प्रकाश करता हैं और पृथ्वी अखिल चराचर का भार वहन करती है। फिर भी यह सब अपनी प्रगसा आप नहीं करने। तब जिन क्षत्रिय वीरो ने ऋग्रा खेलकर राज्य छीन लिया है, उन्होने कौन-सा ऐसा पराक्रम किया है जो अपने मुह मिया मिठू बनकर फूले नहो समाते । जमे शिकारी जाल फैला कर भोली तथा. निरपराधो चिडियों को । फसा लेता है, इसी प्रकार तुम लोगो ने पाण्डवो को फंसाकर राज्य छीना, फिर इतनी लज्जा तो होनी ही चाहिए कि अपने मुंह से अपनी प्रशमा न करो।"
दुर्योधन तिलमिला कर वोला-'अश्वस्थामा। ठीक हो। तो कह रहा था कर्ण। हम पाण्डवो से किस बात मे कम हैं : कर्ण की टक्कर का पाण्डवो मे है कौन? हम ने किसे धोखा दिया जो हग लज्जित हो'" . . - अवस्थामा ने तुरन्त उत्तर दिया गोमे शूरवीर हो तो बनायो किम युद्ध में पाण्डवो को हराया है आप लोगो ने? एक वस्त्र मे द्रौपदी को भी सभा के बीच खीच लाने वाले वीगे। बतायो तुम ने उसे युद्ध मे जीता था? लेकिन मावधान हो जाया आज यहा चोपड का मेल नहीं है जो शनि के द्वारा चालाकी में कोई पामा फेंका और राज्य हथिया लिया। प्राज तो अर्जुन के म.च रणांगण में दो दो हाथ करने का मवाल है अजन का गापडीव चौपड की गोटें नहीं फेंकेगा, बल्कि अपने बाणों की बौछार करेगा। वर्ण की धोम में काम चलने वाला नही है। यहां जिह्वा पी.नही बल नी लडाई है।"
. :कर्णाध में मारे जलने लगा। गरजकर बोला-"प्रश्न