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बृहन्नला रण योद्धा के रूप में
समस्त प्रकार के अस्त्र शस्त्रो से लैस। रथों पर भिन्न भिन्न चिन्हो की पताकाएं फहरा रही थी। जिधर दृष्टि जाती उधर रणवीर ही रणवीर दिखाई देते। और फिर साहस ही के लिए
तो वह विशाल सेना क्या थी, सीधा नाग का महासागर उमड़ा __ था। इस लिए इतनी विशाल सेना को देख कर ही राजकुमार
का अंग अंग कम्पित हो गयो। भय विह्वल होकर उसने दोनो हाथो से अपनी आंखें मूद ली। उस से यह सब कुछ देखते भी
न बना।
- बोला-"बृहन्नला! रथ रोक लो" ". रथ फिर भी चलता रहा ।
___ कापती आवाज मे राजकुमार ने डूबते स्वर से कहाबृहन्नले ! क्या कर रही है रथ रोको, रथ रोको।"
बृहन्नला ने घोडों की बाग खीच ली। पूछा-"कहिए ! क्या हुआ?" 1- - क्यो ?". . .
.. "मैं नही.लडगा मुझे मेरे घर पहचा दो। जल्दी करो, कही तु ने मुझे देख लिया तो मेरी खैर नहीं।"
वृहन्नला ने गजकुमार की बात सुनी तो उसे इस कावन्ता र बटा क्रोध आया। फिर भी सावधानी से कहा-"राजकुमार! कैमी कायरता की बात कर रहे हो? तुम तो शत्रु से लडने प्राये हो । विजय प्राप्त करने पाये । और कहते हो कि " ."
__ "नहीं, नही बहन्नला। इतनी वढी मेना से भला मैं अफला फर्म लड़ मकता ह ?"-भयभीत राजकुमार ने कहा-"वह देखो चितनी बडी सेना खड़ी है। लगता है सारी दुनियां को ममेट पाये है कौग्य ।"
___ "इतनी बड़ी सेना हुई तो क्या बात है। एक मिह के सामने साहै नाम भेट भी ना जाय, मिह का क्या बिगड़ता है ?'
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