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जैन महाभारत
भी शक्ति हो सकती है जो कीचक जैसे शूरमा का वध कर सकती है। उनकी समझ मे न पाया कि सेनापति कीचक क्योकर मारा गया। इस समाचार की सच्चाई को जानने के लिए वे दौडे दौडे नाट्य शाला गए और जब उन्होने कचक का मास पिण्डी की भाति पडा शव देखा, तो हठात उनकी आखो से अश्रु धारा बह निकलो। वे सब उस शव के चारों ओर बैठ कर करुण क्रन्दन करने लगे। विलाप करते करते जव उन्हे बहुत देरी हो गई और उधर राज प्रासाद के सभी लोग कीचक के अन्तिम दर्शन करने एकत्रित हो गए तो उपकीचको मे से एक बोला-"इस प्रकार विलाप करते रहने से क्या लाभ! अब चलो भ्राता जी का अन्तिम संस्कार कर ले। जो होना था सो तो हो ही
गया।"
अपने प्रांसू पोछ कर एक बोला-"पर अभी तक यह तो पता चला ही नहीं कि यह दुस्साहस किस मूर्ख ने किया कि सेनापति का बध कर डाला। हम लोगो के रहते वह वदमाश हमारे भाई का वध कर के निकल जाये यह तो हमारे लिए डूब मरने की वात है।"
"हा ठीक है। हम उस मूर्ख दुस्साहसी का सिर काट डालेंगे हम उसे जीवित नही छोडगे। हम उसे बता देगे कि कीचक परिवार पर हाथ उठाना अपने नाश को निमन्त्रित करना है।" तीसरे उपकीचक ने कहा।
फिर तो सभी की मुट्ठिया बध गई। सभी ऋद्ध होकर कीचक के हत्यारे को गालियां देने लगे। पहरेदार को बुलाया गया और हत्यारे के बारे में पूछा। जव उस ने बताया कि काचक का वध सोरन्ध्री के कारण हा और हत्यारा गधर्व सेनापति का हत्या करके निकल गया तो उन सभी को सौरन्ध्री पर बहुत क्रोध आया। उन्होंने सौरन्नी को पकड़ लिया।
एक उपकीचक बोला- "इस स्त्री के कारण ही हमारे भ्राता का वध हुआ। यही है कीचक को हत्या की जिम्मेदार।