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कीचक बध
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पा बनी। क्या संसार में ऐसा भी कोई है जिस से तुम इतने भयभीत और निराश हो गए। मत्सय देश में तो ऐसा कोई भी नही। सम साफ' साफ क्यो नही.............."
पर"
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कीवक बीच ही मे बोल उठा। "इस धरती पर ऐसा कोई वीर नहीं उत्पन्न हुना जिस से मुझे किसी प्रकार का भय हो ।' तुम इस सम्बन्ध मे नि क रहो । पर
जब आते हैं किस्मत के फेर ...... ... ... मकड़ी के जाल मे फसते है मेर" ": "पहेलियों क्यों बुझा रहे हो। साफ साफ बतायो न । मैं तुम्हारी बातों से वैचैन हो उठी हूं।" मुदेण्णा बोली। . . "बहन ! विवश हो कर लज्जा को ताक पर रख कर अपनी बहन के सामने मैं अपनी बात कह रहा है। वह जिम की मुष्ठी में मेरे प्राण है, तुम्हारी नई दासी है, मोरन्नी।" '
कोचक की वात ने मुदेष्णा को और भी चक्कर मे डाल दिया यद्यपि एक बार उसकी छाती धड़की, और वह मही बात का अनुमान लगाते लगाते रह गई। शका को विश्वास में बदलने के लिए पूछ बैठी-"भैया ! उस दासी के हाथ मे तुम्हारे प्राण कैसे हा सकते है। वह तो स्वय हमारी ही कृपाप्रो की मोहताज है।"
सुदेणे ! रूप में वह शक्ति है जिसके मामने मसार की समस्त. शक्तियां शक्ति हीन हो जाती है।'कीचक ने कहा।
. "तो यूं कहो न कि काम वामना वह बला है जो सिह को कुत्ते के रूप में परिणत कर डालती है ।"-सुदेष्णा ने सब कुछ ममझ कर अपने भाई को एक मीग्व देने के लिए कहा। - "तुम भी मुझे निरांग कर दोगी, ऐगी तो मुझे स्वप्न में भी प्रागा न यो । ना तो मोचो कि तुम्हारे और मेरे शरीर में बाने में में कि अभिन्न सम्बन्ध है। तुम ने जिस फोन में पर पमारे , मी योग्य में मृले जीवन मिला है। में जो भी है, जैना