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________________ जैन महाभारत . उचित परामर्श देते और नीति सम्बन्धी बाते बता कर विगट के सामने आने वाली समस्याएं सुलझाते । भीम रसोई मे जी लगा कर काम करता, विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट भोजन वना कर राजा को खिलाता और विराट के राज्य के कितने ही पहलवानो से कुम्ती लड कर राजा का मनोरंजन करता, इस प्रकार उसने विराट का मन जीत लिया. । नकुल और सहदेव अस्तबल व पशुशाला में मन लगा कर काम करते, और घोड़ों तथा पशुओं की उचित प्रकार से देख भाल करके राजा को सन्तुष्ट करने मे सफल हुए । १७२ उधर अर्जुन वृहन्नला के रूप में विराट की कन्या उतरा को नाच गाना सिखाता और द्रौपदी सौरन्ध्री के रूप में रानी सुदेणा की मन लगा कर सेवा करती । इस प्रकार वे दोनों हीं रनिवास मे छुपकर रहते रहे । X X X ".XE *.~. x~~ ""x - रानी सुदेष्णा का भाई कीचक बडा ही बलवान था, वह अपनी बहन के यहां ही रहता था । उस ने अहने भाईयो को साथ लेकर विराट की सेना को सशक्त बना रक्खा था उसकी वीरता से प्रभावित होकर विराट ने उसे अपनी सेना का सेनापति बना दिया था। वह सारे राज्य पर छा गया था और अपनी चतुरता एव वीरता से उसने अपना एक ऐसा स्थान पा लिया था कि विराट के राजा होते हुए भी एक प्रकार से मत्सय देश पर कीचक ही राज्य करता था । उस की बात टालने या उसकी इच्छा विरुद्ध चलने का साहस विराट को भी न होता था । अतएव समस्त प्रजा-, भी रचनात्मक रूप-मे कीचक को ही राजा मानती और विराट मन ही मन उससे डरने थे । के ftar चुनिका नरेश चूलिका का बेटा था । उसे विराट यहा जो शक्ति प्राप्त थी उम से उसे ग्रहकार हो गया था। वह जो चाहे कर सकता है, इस का उसे अभिमान था । - कीचक ने जब इन्द्राणी समान सुन्दरी द्रौपदी को देखा तो एक ही झलक मे अपना दिल दे बैठा। सोरन्ध्री के रूप पर
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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