________________
कीचक वध
करते थे, चस यह डील डोल उसी की निशानी है ।"भीम
वोला 1
+7
?
".
7
"तो फिर यहाँ भी तुम्हे रसोई के साथ साथ कुश्तियां भी
दिखानी पड़ा करेगी ।" - विराट ने कहा ।
J
१७१
- और भीम की रसोइया रख लिया गया । फिर नम्वर प्राय अर्जुन का ।
"क्या तुम भी महाराज युधिष्ठिर के सेवक थे ? " – नपुसक के रूप में अर्जुन से विराट ने प्रश्न किया ।
जी ! मैं सेवक नही सेविका थी ।" ~
तुम्हारा यह रूप क्या है, वस्त्र नारियों से, ग्रावाज और शरीर की बनावट पुरुषों सी । आधा तीतर श्राधा बटेर ।" -- विराट ने हंसते हुए कहा ।
"महाराज । प्रकृति ने मुझे न पुरुष बनाया और न स्त्री । म जाने क्या इच्छा थी प्रकृति की 1 वस बीच बीच का ही रूपं चन गई। मेरा नाम वृहन्नला है ।" अर्जुन ने कहा ।
बृहन्नला रूपों
"तो वृहन्नला ! तुम किस कार्य में
दक्ष हो ?"
+
" महाराज में राजकुमारियो को करना आदि आदि बहुत से काम जिनका रानियो और राज कन्याग्रो से ही सम्बन्ध है, करती रही हैं ।"
नाचना गाना, श्रृंगार सरकार से वान्ता नहीं,
इसी प्रकार नकुल और सहदेव ने अपने पूर्व निश्चयानुसार अपने अपने योग्य कार्य बताए। विराट ने युधिष्ठिर के नाम पर उन्हें उनकी मन पसन्द काम दे कर नोकर रख लिया । द्रौपदी और वृहन्नला को निवास में लगा दिया गया ।
चैक राज पन्डित के स्थान पर नियुक्त कर दिये गए थे. वै विराट के साथ घोर खेल फेर दिन व्यतीत करते, नमय समय पर