________________
पाण्डव दाम रूप मे
- खडी ही जाय और सारा बना बनाया खेल ही धूल में मिल जाये।
युधिष्ठिर की बात भीम ने ताडली और गका समाप्त करने के लिए भीम ने कहा-"भ्राता जी । आप निश्चिन्त रहे। मैं किसी को जान से नहीं मारूगा। हा जो अधिक अकड फू दिखाया करेगा उसकी हड्डिया अवश्य चटवा दिया करू गा, पर किसी को प्राण ,रहित नही करू गा।" ., .
"हा' कहीं कोई नया उत्पात-न खडा कर देना ?" ___ "आप विश्वस्त रहे। ऐसी कोई बात नही होगी जिस से मेरे कारण आप को किमी विपत्ति मे फमना पडे। हसते हुए भीम ने कहा। .."भैया अर्जुन ! तुम्हारी वीरता और कान्ति तो छिपाये नहीं छिप सकत । तुम कौन सा काम करोगे?" युधिष्ठिर ने भीम से आश्वस्त होकर अर्जुन से पूछा। .
___ अर्जुन ने उत्तर दिया--"भाई साहब । मैं भी अपने को छिपा लूगा। विराट के रनवाम मे रानियो और राजकुमारियो की सेवा टहल किया करू गा।"
___तुम्हे रनवाम मे भला रक्खेगा कौन?" युधिष्ठिर हुस कर बोले।
- मैं वृहन्नला बन जाऊगा! मैं सफेद शख की चूडिया पहन लगा, स्त्रियो की भाति चोटी गूथ लूगा और कचुकी भी पहन लगा। इस प्रकार विराट के अन्त' पुर में रह कर स्त्रियो "को नाचना गाना भी सिखाया करू गा। जब कोई मुझ से पूछेगा तो वह दगा कि मेने द्रौपदी की मेवा मे रह. कर यह हुनर सीख लिया है।"-अर्जुन यह कह कर द्रौपदी की ओर देख कर. मुम्करा दिया।
। अर्जुन की बात सुन कर युधिष्ठिर फिर उद्विग्न हो । बोले- "देखो कर्मों की पनि कमी है। हमे कैसे कमे नाच- नवा रहा