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________________ १५० जैन महाभारत सहदेव उस जलाशय पर गया। उस ने सोचा कि पहले स्वयं पानी पी लू। फिर कमल के पत्तो में भ्राताओं के लिए पानी ले जाऊगा। ज्यों ही उस ने पानी में पैर रक्खा एक आवाज आई-"ठहरो ! यह जलाशय मेरे अधिकार मे है। पहले मेरे प्रश्नो का उत्तर दो तव पानी पीना।” सहदेव को यह बात सुनकर बडा क्रोध आया। वह बोला --"मैं तो प्यास के मारे मरा जा रहा है। वहां मेरे भाई प्यास से तडप रहे है और तुझे प्रश्नो की पडी है।" इतना कह कर उसने अपनी शक्ति का विश्वास करते हुए पानी पिया। ज्यो ही पानी पीकर बाहर निकला। वह मूछित होकर गिर पड़ा। जब बहुत देरी हो गई और सहदेव न लौटा तो युधिष्ठिर ने नकुल को कहा-'सहदेव को गए हुए वहुत देरी हो गई। पर वह अभी तक नही लौटा। देखो तो सही क्या बात है ?" ___नकुल गया, तो उसे अपने भ्राता को अचेत अवस्था में पडा देखकर बड़ा आश्चर्य हआ। उसने वहत ध्यान से देखा पर उसे वह मत प्रतीत हा वह क्रोध मे भर गया, उसने कहा . --"कौन है, जिसने मेरे भाई की हत्या की है। मेरे सामने आ।" वार वार पुकारने पर भी जब कोई सामने न आया तो उसने सोचा कि पहले पानी पी ल फिर उस दृष्ट का सहार करूगा वह पानी मे उतरने लगा। तो वही आवाज़ आई-"ठहरी वह जलाशम मेरे अधिकार मे है, पहले मेरे प्रश्नो का उत्तर दो, तव पानी पीना ।" __ "अभी ठहर ! तुझे बताता हूं। तूने ही मेरे भाई को हत्या की है। मैं तुझ से अपने भ्राता की हत्या का बदला लूगा , तनिक मुझे पानी पी लेने दे।" - नकुल ने पानी पिया, जब वह वाहर पाया तो मूछिन होकर गिर पड़ा। जव नकुल को गए हए भी बहुत देरी हा गई, तो युधिष्ठिर
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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