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जैन महाभारत -
___ ग्वालों की वस्ती के चौधरी को बुला भेजा और उस से बातें भी कर ली गई।
__ चौधरी ने धृतराष्ट्र से जाकर कहा- “महाराज गाए तैयार है। बन के एक रमणीक स्थान पर राजकुमारों के लिए प्रत्येक प्रकार का प्रवन्ध कर लिया गया है। प्रथा के अनुसार राजकुमार उस स्थान पर पधारें, और जैसा कि सदा होता आया है, चौपायो की सख्या, अायु, रंग, नस्ल इत्यादि जाच कर खाते मे दर्ज कर ले और बछडों पर चिन्ह लगाने का काम पूर्ण कर के बन मे कुछ देरी खेल कर थोडा मन वहला ले। चौपायो की गणना का काम भी पूर्ण हो जायेगा और उनका मन भी बहल जायेगा।" ..
राजकुमारो ने भो धृतराष्ट्र से जाने की अनुमति मांगी' पर धृतराष्ट्र ने उत्तर दिया- 'नही, द्वैत वन मे पाण्डवो का डेरा है। तुम्हारा वनवास के दुखो से क्षुब्ध पाण्डवों के निकट भी जाना ठीक नहीं है। मैं भीम और अर्जन के निकट पहचने की अनुमति नहीं दे सकता। चौपायो की गणना का हो प्रश्न है तो वह कोई और भी कर सकता है।"
. . तब शकुनि ने समझाया-'महाराज़ ! अर्जुन और भीम चाहे कितने भी क्रुद्ध हो, पर वे युधिष्ठिर की आज्ञा बिना कुछ नही कर सकते और युधिष्ठिर १६ वर्ष से पूर्व कोई भी कुकर्म न होने देगे। आप विश्वास रक्खे कि कौरव उनके पास भी न जाय गे। मैं स्वय उन के साथ जाऊगा और कोई बखेडा न खडा .हान दूगा। आप इन्हे आजा दीजिए।"
इस प्रकार शकुनि ने समझा बुझा कर अनुमति ले ली। परन्तु धृतराष्ट्र ने चेतावनी देते हुए कहा-"खवरदार जो पाण्डवा के पास भी गए।"
अनुमति मिलने पर कर्ण ने शनि को बधाई दी और दुर्योधन से बोला-"अब चलो और अवसर मिले तो पाण्डवो का । , मफाया करदो"