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________________ पासा पलट गया कोई बड़ी बात है ? . . . ., -- कर्ण ने कहा- "दुर्योधन | यदि मेरी बात मानो तो सैन्य बल के साथ चलो और बन मे उन्हे जा कर घेर लो। बडो आनन्द आयेगा ।। थोडो से ही बल से काम चल जायेगा।" "दुर्योधन गम्भीरता पूर्वक बोला- "तुम लोग उसे जितना -आसान समझते हो, उतनी आसान बात नही है। बात यह है कि पिता जी पाण्डवो, मे हम से अधिक तवोबल समझते हैं। - इसी से वे पाडवो से . कुछ डरते हैं। इसी कारण बन मे जाकर- पाण्डवो से मिलने की आज्ञा देने मे वे वे. झिजकते है । वे डरते है कि __ कही इससे हम पर कोई आफत न आ जाये । लेकिन मैं कहता -हू कि यदि हम.ने द्रौपदी और भीम को जगल मे पडे , कष्ट उठाते , न देखा तो हमारे इतने करने-धरने . का लाभ ही क्या हुआ ? मुझे वस इतने से सन्तोष नही है कि पाडव बन. मे.कष्ट उठा रहे हैं और हमे उनका इतना विशाल राज्य मिल गया है। मैं तो अपनी आखो-से उनका कष्ट देखना चाहता है। इस लिए कर्ण ! तुम और शकुनि कोई ऐसा उपाय करो कि जिससे बन मे जा कर पाडवो को चिडाने की आजा हमे मिल जाय।" . कर्ण ने इस उपाय को खोज निकालने का उत्तरदायित्त्व ले लिया । . . . . . . - दूसरे दिन पौ फटते ही कर्ण दुर्योधन के पास गया और वडे हर्ष से बोला- "लो, उपाय मिल गया । ह्रत वन मे कुछ ग्वालों को वस्ती है जो आपके आधीन है। प्रत्येक वर्ष बन मे जा कर पशुओ की गिनती लेना राजकुमारो का काम है। वहुत काल से यह प्रथा चली आ रही है। अत, उस बहाने हमे अनुमति मिल सकती है। और वहा जा कर.. ... - कर्ण ने वात पूरी भी न की थी कि दुर्योधन और शकुनि मारे खुशो के उछल- पडे । वोले-"बिलकुल ठीक तूझी है, तुम को।' कहते कहते दोनो ने कर्ण की पीठ थपथपाई ।
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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