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जन महाभारत
इन्द्र को अर्जुन के आने का शुभ समाचार सुनाया। इन्द्र स्वय अपने साथियो सहित स्वागत को आया, उसने बहुत ही आदर सत्कार किया ।
दूसरी ओर शत्रुदल को भी किसी प्रकार यह समाचार मिल गया कि प्रसिद्ध धनुर्धारी अर्जुन इन्द्र के यहा विराजमान है। अत' उन्होने तुरन्त वायुयानो से आ कर सारे नगर को घेर लिया। रण भेरी वज उठी । अर्जुन भी इन्द्र के साथ मोर्चे पर आ डटा! चुनौती स्वीकार कर ली और युद्ध के लिए तैयार हो गया।
दोनो ओर से महा भयानक युद्ध होने लगा। कुछ ही देर में अर्जुन समझ गया कि विकट शत्रुदल का सामना है। उसे साधारण वाणो से नही जीता जा सकता। अत. उसने दिव्यास्त्रो को सम्भाला कितने ही शत्रुओ को उसने नाग पाश मे बाध लिया, कितनो को अग्नि बाण से भस्म कर डाला, और अनेक को अर्धचन्द्र वाण से छिन्न भिन्न कर डाला। इस प्रकार तीन दिन घमासान युद्ध में अर्जुन ने शत्रुदल को समाप्त कर दिया और विजय के वाजे वजा कर, जय घोप के साथ इन्द्र सहित महल को वापिस आ गया ।
___ सारे नगर मे हर्ष छा गया, नर नारी अर्जुन की प्रशसा करने । लगे, समस्त गधर्व उसके सामने नत मस्तक हो कर उसकी सेवा में लग गए। सभी गधर्व उसका गुणगान करने लगे और उसके मित्र हो गए। गवर्वो का प्रमुख नेता चित्रागद अर्जुन का घनिष्ठ मित्र हो गया। चित्रांगद के साथ अर्जुन ने विजयार्द्ध की दोनों श्रेणियो का भ्रमण किया।
धविद्या-विशारद चित्रागद अपने सहयोगियो सहित अर्जुन की सेवा में रहता। अन्त में अर्जुन अपने भाईयो के पास वापिस चला पाया। चित्रागद अन्य गधर्वो -सहित उसके साथ-था, इन सभी ने कितने ही दिनो तक पाण्डवो की सेवा की और हर प्रकार से सहायता करते रहने का वचन दिया।