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एकादस परिच्छेद *
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लाख का महल
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वारणावत के लोगों ने जब पाण्डवो के ग्रागमन का समाचार 'सुना वे बड़े प्रसन्न हुए। और उनके स्वागत को तैयारियां जोर • शोर से होने लगी। सभी लोग पाण्डवों के गुणों से परिचित थे, तः वे उनका स्वागत करना अपना कर्तव्य समझते थे ।
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जब पाण्डवो ने वारणावत में प्रवेश किया, सहस्रो नर नारी उनके ऊपर पुष्पो की वर्षा और जय जयकार करने लगे ।
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युधिष्ठिर और सती द्रौपदी के प्रति बहुत श्रद्धा दर्शाई गई । सारा नगर सजा हुआ था ।
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वारणावत के नागरिको की ओर से किए गए प्रभूत पूर्व स्वागत से पाडवो का मन भी खिल उठा ।
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-लाख का महल अभी तैयार नही हुआ था अतएव पुरोचन ने उन्हे दूसरे स्थान पर ठहराया । इसी समय विदुरद्वारा प्रेरित समाचार युधिष्ठिर को मिला, जिसे जानकर वे आश्चर्यचकित रह गये और भविष्य के चौकन्ने बन गये। कुछ दिनो पश्चात महल तैयार हो जाने पर पुरोचन वडे आदरपूर्वक उन्हें महल मे ले गया ।