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कस वध
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के सिर टूटने थे कि शेष भयभीत होकर मधु मक्खियों की भांति भाग पड़े ।
श्री कृष्ण ने कंस को सम्बोधित करके कहा - " देख, अपनी आँखों से देखकि मुनिवर एवंता की भविष्य वाणी आज सत्य सिद्ध हो रही है, और तू लाख प्रयत्न करने पर भी, अनेक षड्यन्त्रों के जाल रचने पर पर भी अपने नाश को नहीं रोक पा रहा। दिखा कहां है तेरी वह तलवार जो संसार भर में कोहराम मचा सकती है ? कहां है तेरा वह बल जिससे कि तू मेरू पर्वत को भस्म कर सकता है। दिखा कहां है तेरे वे वाण जिनसे सारा संसार थर्राता है । क्या तेरे वह अस्त्र शस्त्र वह बल तेरे काम आ रहे हैं ? मूर्ख अहकार का परिणाम अपनी भाखों से देख | "
इतना कहकर श्री कृष्ण ने कस के सिर पर जोर से पैर मारा। घोट सेकस का एक भयंकर चीत्कार निकला और उसकी आँखें फैल गई । सारे ससार को भस्म कर डालने व जगत पति व भगवान् होने की डींग हाकने वाले की इह लोक लीला समाप्त हो गई। उसके अन्याय से त्रसित जनता उसकी मृत्यु देखकर हर्षनाद करने लगी । गोकुल वासियों ने श्री कृष्ण की जय जयकार आरम्भ कर दी ।
श्री कृष्ण कंस को घसीट कर मण्डप से बाहर ले आए। कस को मृत देखकर जरासंध के सैनिक कृष्ण पर वार करने के लिए दौड पडे । जरासध की सेना को कृष्ण के मुकाबले पर आते देख समुद्रविजय से न रहा गया, उन्होंने अपने सैनिकों को कृष्ण तथा बलराम की रक्षा करने का आदेश दिया । जरासंध की सेना के मुकाबले पर समुद्रविजय की सेना का माना था कि जरासघ के सैनिकों के पैर उखड गए । वे भाग पड़े ।
समुद्रविजय ने श्री कृष्ण की पीठ थपथपाई बलराम को बधाई दी और फिर हर्ष पूर्वक दोनों को अपनी छाती से लगा लिया- "वोलेआज तुमने जो भी वीरता दिखाई है उस पर मुझे गर्व है । वास्तव में तुमने पृथ्वी को एक भयकर पापी के भार से मुक्त कर दिया ।"
फिर उन दोनों को रथ में बैठा कर वसुदेव के पास ले गये । वसुदेव ने दोनों को छाती से लगा लिया वे बोले- मेरे पुत्रों आज तुमने वह कार्य किया है जिसे भावी सन्तानें भी स्मरण रक्खेंगी,