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कंस वध ही दिनों में वे एक दूसरे के इतने निकट हो गए कि सब लोग उनके व्यवहार को देखकर यह भूल गए कि बलराम और कृष्ण ने दो माताओं की कोख से जन्म लिया है।
गोकुल और मथुरा के बीच में वे कदम्ब की छाया में बैठ जाते चारों ओर गौए चरती रहती, कृष्ण बासुरी की तान छोड़ देते और बलराम गौओं पर दृष्टि रखते । यही उनका नियम बन गया था । बलराम कृष्ण को इतना प्रेम करते कि किसी भी कार्य के लिए कृष्ण को कष्ट न देते।
अब कृष्ण ने सोलह वर्ष पूर्ण कर लिये थे, इतनी कम आयु में इतना आश्चर्य जनक बल इस बात का द्योतक था कि उन में दिव्य शक्ति है, वे पुण्यात्मा हैं। __ श्री कृश्ण की बातें कस के कानों में भी उसके गुप्तचरों ने पहुंचा दीं । कस ने गरज कर पूछा-"कौन है वह मूर्ख छोकरा ?"
गुप्तचर-महाराज वह नन्द अहीर का बेटा कृष्ण है । वह बडा चचल है।
कंस-इससे पहले कि तुम उसकी यह मूर्खता पूर्ण बातें सुनाते अच्छा होता कि तुम मर गए होते।
गुप्तचर-(कॉपकर) अन्न दाता | मुझ से तो कोई भूल नहीं हुई।
कस-तुम्हें चाहिए था कि उस मूर्ख का सिर काट कर लाते । फिर यह उसकी बकवास मुझे सुनाते ।।
गुप्तचर-हे जगपति । वह बड़ा वीर है। कस-कायर | क्या हमारी सेना से भी अधिक शक्ति है उसमें ?
गुप्तचर--वह वही है जिसने केशी अश्व और अरिष्ट वृषभ की हत्या की, उसी ने काली नाग को नाथ लिया था।
कस-अधों में काणा सरदार हो रहा है। उस दुष्ट को ज्ञात नहीं कि कस का क्रोध बडा भयकर है । यदि उसकी प्रवृतियों पर मुझे क्रोध
आ गया तो उसकी हड्डियों तक को पीस कर सुरमा बना दूंगा ? जाओ, उससे जाकर कह दो कि यह बकवास करके अपनी मृत्यु को निमत्रण न दे।
X इधर मथुराधीश कस ने अपने प्रधान की वृहस्पति को बुला कर