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जन महाभारत
वसुदेव ने रोषपूर्ण शब्दों में कहा। देवकी को भी सुनकर आश्चर्य हुआ-'आप ने किस से सुन लिया ?"
"प्रिये, जब उसके इस काम को बच्चा बच्चा जानता है तो फिर मुझे कैसे ज्ञात नहीं होता, गलियों बाजारों में सभी जगह उसी की चर्चा है ।" वसुदेव बोले।
देवकी को बड़ी प्रसन्नता हुई। वह हर्षातिरेक में बोली-देखा पुण्यवान पुत्र का प्रताप ! अभी उसकी आयु ही क्या है । इतनी कम आयु में ही जगत विख्यात हो रहा है। लोग दातों तले उंगली दबाते होंगे।" ___ 'दांतों तले उगली तो तब दबायेंगे जब दुष्ट कस उसे मरवा डालेगा।' वसुदेव ने कहा ।
तब देवकी की भी जैसे आंखे खुली। वसुदेव बोले-पहले खूब बलवान हो लेता और फिर यह सब कुछ करता तो कोई बात भी थी। पर वह छप कहां रहा है, वह तो अपने को उजागर कर रहा है । कस इस पर उसे मरवा न डालेगा?
"तो फिर कुछ कीजिए।" व्याकुल होकर देवकी बोली-मेरे बेटे को कुछ हो गया तो मैं कहीं की न रहूँगी।"
"मैं अब क्या करू? उसे कैसे छिपा कर रक्खू । प्रत्यक्ष रूप से अब उस पर हमारा कुछ अधिकार भी तो नहीं है।" वसुदेव ने कहा।
वसुदेव और देवकी सोचने लगे कि कृष्ण की रक्षा के लिए क्या किया जाय । सोचते सोचते अन्त में उन्हें बस एक ही उपाय समझ में
आया कि बलराम को कृष्ण की रक्षा के लिए गोकुल में भेज दिया जाय । निर्णय होने पर ऐसा ही किया गया।
बलराम और कृष्ण दोनों परम स्नेही भ्राताओं की भांति साथ-साथ । रहने लगे। साथ-साथ खेलते, साथ-साथ गौए चराने जाते । राम और कृष्ण की जोड़ी मिलने के पश्चात् उनकी सयुक्त शक्ति ने गोकुल वासियों को बहुत प्रभावित किया, उन के भ्रात सम स्नेह को देखदेखकर लोग चकित रह जाते और आपस में उनके स्नेह की चर्चा करते व अपने बालकों को उनका अनुसरण करने की शिक्षा देते। कुछ