________________
२४४
जैन महाभारत
rrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr.m हुए द्वितीय सोमश्री, गन्र्धव सेना, विजय सेना, पदमश्री अनवन्त सुन्दरी शूरसेना आदि सभी पत्नियो को साथ लेकर शौरीपुर नगर की ओर चल पड़े।
नगर के पास पहुँच वह एक रमणीय उद्यान में जा उतरा । उसकी संरक्षिका वनवती देवी ज्वलन-प्रभ-नाग-वल्लभा ने महाराज समुद्र विजय को जाकर वसुदेव के प्रागमन का समाचार सुनाया। उनके
आगमन का समाचार सुनते ही समुद्र विजय अपने परिजन व पूर्वजो के साथ वसुदेव को लेने के लिए आ पहुचे । उधर नगर वासियो ने उनके स्वागत में नगर के राजपथो चत्वरो व प्रमुख द्वार आदि को नववधू की भांति सजा दिया ।