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गवदत्ता परिवाय
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फोन दिलाये । अन्यथा पापक तेज के प्रभाव से कांपता हुआ भूमरल रमानल में चला जायगा।
श्रीमघ की विनती सुनकर विष्णुकुमार ने पूर्णचन्द्र के समान मनार मप धारण कर लिया। उस समय महापद्म ने नमुचि को प्राग देना चादा पर मुनिराजी ने ऐसा नहीं करने दिया 'प्रतः मेगा निकाला दे दिया गया।
मनों के मुख से निकला हुश्रा वह गीत ही विप्रा गीत के नाम मे पिम्पत है।