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शरीर के विभिन्न अवयवो की उपयोगिता की दृष्टि से भी आसनों के कुछ वर्गीकरण किए जा सकते है।
सिर, नाक, कान और आंख के लिए उपयोगी आसन : १. सर्वागासन २. ऊर्ध्वपद्मासन गर्दन और कन्धो के लिए उपयोगी आसन : १. सर्वागासन २. हलासन ३. मत्स्यासन ४. जालधरवन्ध। छाती, फेफड़े और हृदय के लिए उपयोगी आसन : १ भुजंगासन २. धनुरासन ३. पवनमुक्तासन ४. प्राणायाम। हाथ और पैर के लिए उपयोगी आसन : १. उत्थित पद्मासन वृपण-वृद्धि के लिए उपयोगी आसन : १. सर्वागासन २. शीर्षासन
आसन सम्बन्धी सामान्य निर्देश
१. आसनकाल मे मन तनाव से मुक्त रहना चाहिए। शारीरिक तनाव मानसिक तनाव से पैदा होता है। मन जितना खाली होगा, उतना ही शरीर तनावमुक्त होगा अर्थात् आसन के प्रायोग्य होगा।
२. जिस अवयव-सम्बन्धी आसन करे, उसी अवयव मे मन को टिकाए रखे।
३. श्वास दीर्घ और मंद ले। मन की गति आसन से सम्बन्धित अवयव पर होती है तो श्वास का अन्तःप्रवाह मुख्य रूप से उस अवयव की ओर सहज ही हो जाता है।
मनोनुशासनम् / ७३