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विधि
वीर-वन्दन
9 दोनो पैरो को सटाकर, सीधा खडा होकर, पेट को अन्दर खीचकर और छाती को फुलाकर, दोनो हाथ जोडकर प्रणाम की स्थिति मे रहे ।
२ दोनो हाथो को सिर से सटाकर ऊपर उठाए और कुछ पीछे की ओर ले जाएं। सास को अन्दर रोककर रखे ।
३. दोनो हाथो को सिर के साथ छोडते हुए पैरो के वगल मे हथेलियो को जमीन पर रखे । घुटने सीधे रखकर मस्तक को घुटनो से
लगाए ।
४. वाये पैर को पीछे सीधा करे, दाहिने पैर को मोडते हुए ऊपर की ओर देखे और सांस को रोककर रखे - कुभक करे ।
५. दाहिने पैर को भी पीछे की ओर लेकर नाभि की ओर देखे । ६ समूचे शरीर को पेट और छाती के वल जमीन पर रखे । ७. दोनो हाथो को जमीन पर हथेलियों के वल रखकर छाती को ऊपर उठाते हुए ऊपर की ओर देखे । सास को अन्दर रोककर रखे ( भुजगासन की मुद्रा ) ।
दोनो हाथो तथा पैरो को जमीन पर रखकर सास छोड़ते हुए नाभि को देखे (पांचवी स्थिति की तरह ) ।
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६. बाये पैर को हाथ के निकट ले जाकर छाती को ऊपर उठाए और ऊपर की ओर देखे (चौथी स्थिति की तरह) ।
१०. दोनो पैरो को दोनो हाथो के निकट ले जाकर बैठकर उठते हुए घुटनो मे सिर लगाकर रखे ।
११ दोनो हाथो को सिर के साथ ऊपर ले जाए ( दूसरी स्थिति की
तरह) ।
१२ प्रथम स्थिति की तरह प्रणाम करते हुए खडे हो जाए ।
मनोनुशासनम् / १६६