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यो मोरी में राट लगाएं तर म जाता । स्या पासवको रौनयर, पयो नमन माता ॥ पस्वमहाबत RRR मार, पवन पाय मनो। बाविषम परि an, बाराम को ॥१८॥ यह समाप मापन IRRAT, भारोमोते । सुपन दशा में जाना पग, ri हे मोसे । भान गुमागुन सि, शुभ मापन मयर पार्य । रगत यह नाय पो मनपा पार जाये ॥१॥
गामा ज्यों मरवर जालमा वसा, तपन प२ भारी। संबर रोएं, निराहं मोपन हारी ।। उदय भोग सपिपास रामप, पप गाय प्राम डाली। दुजोरै प्रविश पाये, वासविर्ष मासी ॥२॥ पहली मकरोय नहीं, पुम मर फाम तेरा । दूनी परंशु उधम फर मिट जगतफेरा ।। सबर महित करो तप प्रानी, मिल मुक्ति गरगी। इन दुलहिन को यही महनी, जानं सब जानी ॥२१॥
लोग नायना सोक प्रलोक प्रकाश माहित पिर, निराधार मानो। पूरपरप कर कटी भये पद, द्रव्यनमो मानो। इसका कोई न करता हरता, अमिट अनावो है।