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' ४ , उन गरे त रहाम्रो, छळ तोयंडा नहलायो। नीन का रिटं टग लोगो ,व रात भर में पहबाने। देश दिगम्बर पान हा, तुम = ग गे हारे । मुनि नुन्हारी मिलनी सुन्दर दृष्टि गुरद उनी नान पर! घोच मान मदन भगाया, राग हेप का न पाया। दीतगा तुम कहलाने हो, न ग के मन हो भने हो। होगान्त्री नगरी महलाए. राजा राजो बननाए । सुन्दर नार नगेना उन्के, हिमरे घर में यामी उन्ने। न्निनी नम्दो उमर रहाई, तीन लाट पूरच गई ।। ।।
दिन हायो दंश निरस्नर पाया बंगग्य उमडार । तिक नदी त्रयोदा नारी, तुमने मुनि पद दोना भरो॥ मारे राजपाट को तन, बनी मनोहर इन में पहुंचे। तप कर वेदग्नान उपाया, बैत मुदो पंदरन म्हनारा ।। इक्नोदन गराधर बतलाए, मुल्य बन्न चामर कहनाए । लाखों मुनि अतिका लालों, श्रावक और धारिका लाखों ।। प्रनररात तिच बताए, देगे देव गिनत नहीं पाए । फिर सम्मेद शिखर पर नाके, शिवरमरणो को ली परणाके। पंचम काल महा दुख दाई, जब तुमने महिमा दिखलाई।। जयपुर राज्य ग्राम दारा है, स्टेशन शिवदासपुरा है। - मूला नाम जाट का लड़का, घर को नींव तोदने लाना ।। खोरत खोदत मूति दिखाई, उसने जनता को बतलाई । चिह्न कमल लख लोग नुगाई, पद्मप्रन की मृति बताई ।।