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राममेष को पोष्ट गाने मन कान दुहाई ।
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मृगपत तर मगाये, पट पर। रात दिना में म
१२॥
el aa it via a quì, ga zgî falu kð nýn मृत्युको शरानो पार्टी
जामे सम्यक् शन को मह, ग्राठी में पा देलो तर समोर मृतस्नो, नाहि सु या जगमा 1 मृत्यु समय मे ये ही परिजन, मदुवाई ॥१॥ यह सब मोह बदावनहारे, जिसकी दुर्गनिवाता | इनमे मम निवारो जिवरा, जो वाही व माता | मृत्युपत्र म पाय मयाने, गांगो इच्छा लेती । ममता परकर मृत्यु हो सो पायो सम्पति तेती ॥१५॥ चमाराधन सहित प्राण तन तो या पदवी पावो । हरि प्रतिहरिची तीवर, स्वर्गमुक्ति में जावो । मृत्युकन्पम सम नहि दाता, सोमो लोक मंकारे । ताकी पाय फलेश करो मत, जन्म जवाहर हारे ||१६||