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सुवरण भन यादि मुनिचार पाबागिरि वर शिखर मन्नार । चेलना नबोनीर के पान नुक्ति गये बदी नित ताम ॥१४॥ फलहोडी वडगाम अनप, पश्चिम दिशा बोगनिरि रूप , पुरस्त्तादि मुनीश्वर जहा, मुक्ति गरे बन्दी नित तहां १५॥ वान महावाल ननि होय, नागकुमार मिले य होय । थी अण्टापद नक्ति मभार, ते बन्दी नित मुरत नभार ।१६। अन्नपुर को दिश ईगान, तहाँ मेगिरि नाम प्रधान । माटे तीन लोडि मुनिगम, तिनले वरण नवितलाय ॥१४॥ वमन्यल वनके डिग होय, पश्चिम दिशा कुंयुगिरि सोय । कुल-भूषण दिशि-भूपरा नाम,तिनके चरणनिकरूं प्रणामा१८ जसपर राजा के नुत कहे, देश कनिग पाचनों लहे । कोटिशिला मुनि कोटि प्रमान, वन्दन करूं जोरगपान ॥१६॥ समवसरण श्रीपाच जनद, रेनिदोनिरि नयनानन्द । वरदत्तादि पञ्चपिराज, ते वन्द नित घरमजिहाज ।२०॥ मथुगपुर पवित्र उचान, जम्बू स्वामोजो निर्वाण । चरम केवलो पञ्चनकाल. ते बन्दों नित दीनदयाल ।२१। तीनलोक के तोरथ जहा, नित प्रति वन्दन को तहां । मनवचकाय सहित सिरनाय, बन्दनकरहि नदिकगुरगनाया२२ सम्बत् सतरहसों इकताल, आश्विन सुदि दशमी तुविशाल । - 'भैया'बन्दन करहिं त्रिकाल, जय निरिणकाण्ड गुणमाल १२३
।। इति ॥