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पचकत्याणक सित कातिक छट श्रमदा, गरभागम श्रानन्द कन्दा । शचि सेव शिवापद आई, हम पूजत मन वच काई ॥१॥ ॐ ह्री कार्तिक शुक्ला पष्ठ्या गर्भमगलप्राप्ताय श्री नेमिनाथायाध्यं । सित सावन छट्ट प्रमदा, जनमे त्रिभुवन के चन्दा । पितु रामुद महासुख पायो, हम पूजत विघन नशायो ।।२।। ॐ ह्री श्रावणशुक्लापण्ठ्या जन्ममगलप्राप्ताय श्रीनेमिनाथायाध्यं । तजि राजमति व्रत लीनो, सित सावन छट्ट प्रवीनो। शिवनारि तबै हरषाई, हम पूजें पद शिर नाई ॥३॥ ॐ ह्री श्रावण शुक्लापण्ठ्या तपकल्याणकप्राप्ताय श्रीनेमिनाथायायं । सित श्राश्विन एकम चरे, चारों घाती अति कूरे । लहि केवल महिमा सारा, हम पूजे अष्ट प्रकारा ॥४॥ ॐ ह्री ग्राश्विन शुक्लाप्रतिपदाया केवलज्ञानप्राप्ताय श्रीनेमिनाथायाऱ्या सित पाढ अष्टमी चूरे, चारो अघातिया कूरे । शिव ऊर्जयन्ततै पाई, हम पूजे ध्यान लगाई ।।५।। ॐ ह्री पापाढशुक्ला अष्टम्या मोक्षमगलप्राप्ताय श्रीनेमिनाथायायं ।
जयमाला दोहा-श्याम छवी तन चाप' दश, उन्नत गुणनिधि धाम ।
शंख चिह्न पदमे निरखि, पुनि पुनि करो प्रणाम.१॥ जय जय जय नेमि जिनन्द चन्द, पितु समुद देन प्रानन्द कन्द। शिवमात कुमद मन मोद दाय, भविवृन्द चकोर सुखी कराया२ जय देव अपूरव मारतड', तुम कोन ब्रह्मसुत' सहस खण्ड । शिवतिय मुख जलज विकासनेश,नहिं रह्यो सृष्टि मे तम अशेष।३
१ घनुप । २ सूर्य । ३ कामदेव । ४ मुक्ति-स्त्री का मुख कमक ।