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पन्चान्याय
नर्यातिद्धितं दये, मरदेवी उर माय । दोन sfer घावाटको नजू तिहारे पाय || ॐ से पापापादिना गापामा श्रोपादिनाना।
संत वदी नौमी दिना, सम्या श्रीभगवान ।
सुरपति उत्सव प्रति वरघा, में पूजो पर ध्यान ॥
होना माना श्री पादिनाप नेमिनिस्वाहा ।
नृपवद ऋषि छांड़िये, तप पारधी बन जाय । नमो त घमेत की, व तिहारे पयि ॥
ॐ ही
नवम्यां वानराणाद भी सादिनागनिमोनिया।
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फाल्गुन यदि एफादशी, उपज्यो देवलज्ञान । इन्द्र प्राय पूजा करो, में पूजों यह पान ॥ फागुन कप्राणाय श्रीमादिनान्द्राय पध्ये नवपामीनि व्याहा ।
माघ चतुर्दशि कृष्णकी, मोक्ष गये भगवान । भय जीवो को बोधिके, पहुँचे शिवपुर धान ॥ ॐ हो या गीताकापाय श्रोपादिनाथ जिनेन्द्राय पच्यं निर्वपामीति व्याा ।
जयगाना
प्राोश्वर महाराज में विनती तुमसे करें ।
चारों गति के माहि में दुख पायो सो सुनो ।