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३५० : जैनसाहित्यका इतिहास
'जीवो ति हवदि चेदा"..." । उवमोगविसेसिदो-ज्ञान दर्शन लक्षणोपयोगेन विशिष्टः। अनेन प्रकृतिगुणा ज्ञानादय इत्यपारां (-पास्त) मोझे ज्ञानाधभाव इति च । प्रभुः शुद्धाशुद्ध-परिणाम-प्रसाधन-स्वतंत्रः। अनेन ईश्वरप्रेरितो गच्छेत् स्वर्ग वा श्वभ्रमेव वा' इति निरस्तं । कर्ता-कर्मणां तन्निमित्तात्मपरिणामानां च विधायकः । इत्यनेन प्रकृतेरेव कर्मकर्तृत्वं नात्मन इत्येकान्तो निरस्तः ।......" देहमेत्तो- नामकर्मवशादुपात्ताणुमहच्छरीरप्रमाणो न नोनाऽभ्यधिकः । अनेन आत्मनः सर्वगतत्वं च कणिकादिप्रमितत्वं निरस्तं ।।
द्रव्यसंग्रहको 'जीवो उवओगमओ' आदि दूसरी गाथाकी टीका भी उक्त टीकासे अक्षरशः मिलती है। जिससे यह स्पष्ट रूपसे प्रमाणित होता है कि दोनों टीकाओंके रचयिता एक ही प्रभाचन्द्र है । यथा
'जीवस्य स्वरूपमाह-जीवो उवओगमओ। जीव अस्ति चेतनालक्षणः स्वरूपवेदकः । तथा उवओगमओ-उपयोगमयः ज्ञानदर्शनमयोपयोगेन युक्तः । अनेन प्रकृतिगुणाः ज्ञानादयः इत्यपास्तं मोक्षे ज्ञानाद्यभाव इति च ।"""तथा कत्ता-कर्ता, केषां ? कर्मणां तन्निमितात्मपरिणामानां च कर्ता, अनेन प्रकृतेरेवकर्मकर्तृत्वं नात्मन इत्येकान्तो निरस्तः । तथा सदेहपरिमाणो नामकर्मोदयवशादुपात्ताणुमहच्छरीरपरिमाणो न न्यूनो नाप्यधिकः । अनेनात्मनः सर्वगतत्वं वटकणिकामात्रत्वं च प्रत्याख्यातं ।'
अतः ये चारों टीकाएँ एक ही प्रभाचन्द्रकी कृति हैं और वह प्रभाचन्द्र प्रसिद्ध दार्शनिक ही प्रतीत होते हैं। उनके तत्वार्थ वृत्तिपदमें गोमट्टसारकी अनेक गाथाएं उद्धृत हैं, द्रव्यसंग्रह वृत्तिमें भी समुद्धातके लक्षणवाली एक गाथा उद्धृत पाई जाती है जो जीवकाण्ड की है और एक गाथा द्रव्यस्वभावप्रकाशक नयचक्र की है। ये दोनों ग्रन्थकार दार्शनिक प्रभाचन्द्र के पूर्वज हैं । ऐसा एक भी उद्धरण इन टीकाओंमें नहीं है जो प्रभाचन्द्रके समयके पश्चात्का हो । अतः उन्हें दार्शनिक प्रभाचन्द्रकी कृति माननेमें कोई विरोध नहीं है । आचार्य नरेन्द्रसेन और उनका सिद्धान्तसार' संग्रह
अमृतचन्द्रके तत्त्वार्थसारकी शैली पर आचार्य नरेन्द्रसेनने सिद्धान्तसार संग्रह नामका ग्रन्थ रचा है। किन्तु शैलीमें समानता होते हुए भी दोनोंके नामोंके अनुरूप ही दोनोंमें अन्तर है। तत्त्वार्थसारमें तन्वार्थ सूत्र और उसके टीका
१. सिद्धान्तसार संग्रह नामक ग्रन्थ जीवराज जैन ग्रन्थमाला शोलापुरसे वि०
सं० २०१३ में प्रथमबार प्रकाशित हुआ है। इसमें मूलके साथ हिन्दी अनुवाद भी है।