________________
२६ जनसाहित्य का इतिहाग
पारंगतता और लता का परिचय मिलता है। उस नरः पली गावांगे गल्यका नाग और उगकी उत्पत्तिका सांत ज्ञात हो जाता है ।
अधिकारा और गाथाओका विभाग
एकगोवरना गावा
असारी
जनगन
दूगरी' गाया यह बताए ग विभक्त है, यह बताने की प्रतिज्ञा की गयी है कि कितनी कितनी गुणगाना है । जाने तोगरी, नीवी, पानी और उठी गायामें बतलाया है कि प्रायक पान अविराम तीन गाना है । वेदानागी छठे अधिकार भार गाथा | उपयोगनामक गाव नका गात गागा है । नतु ग्याननागत जना गाल गाया है । व्यजननामक नावे अभिकारम पान गाराएँ है | दर्शनमाहापशमनानामक दो अधिकारमेन्द्र गाया है । दशनमाक्षपणानामक ग्यारह अधिकार पान गाना है । गरमागरम नामक बारहवें और नापि नामक तेरही एक गाया है। और नाग्निमपरागनानामक नरहने अधिकार बाट गाया है । गीता र आठ गावांगं नारिमाणानाम अजवा तर अनिकारीका निर्दण करते हुए उनमें अड्डाईंग गाथाए बनाई है। नो आर दगवी गायामं बतलाया है कि नायिमोहनपणा-सम्बन्धी अट्टान
८
किन्निमिवापगाठान्नि
नामः अनार पल
जयामि ॥ पचासी
नागी गुम्
पादव्या ॥३॥ नान, ५० १५५ । ३. ruft af
Ai i sezm fanju} !-{
गाहाजा ॥४॥ नहीं, ४० १५०
४. 'दमणनाम्मुम्मामणा पणारस हानि गाहाजा । पात्तगाल सव
ܕ
6
५.
० ० ५० १।
34th fl{$£$¥¥£•H
4
||५|| ही ५० १६०
'लतीय समाजमन्स रोता नरिचरन । दाक्का गाल अठेवुन सामउम्मि ||६|| ' वह, ५० १६३
६ 'चत्तारि य पट्ठव गाहा मकाम विचचारि । जोना निशि एककारमहानि किट्टी ॥७॥ वहा, ५० १६४
७ 'चत्तारिय सवणार एक्का पुण होदि मीणमाहरमा नगणो गट्ठावाम ममा सेणा ||८|| वहीं, पृ० १६६
८ 'किट्टाकयवचारे मगनी सीणमोहपट । सत्तदा गाहाओ अण्णाज समास गाहाओ ||९|| वहीं, पृ० १६८
९. 'सकामण आवट्टण - किडीसवणार एक्कवास तु । प्रदाआ सुत्तगाहाओ सुग अण्णा भाम गाओ ||१०|| वही, पृ० १७०