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चूणिसूत्र साहित्य २१३ का ही किया है। प्रकृतिसंक्रमकी तरह ही स्थितिसंक्रम, अनुभागसक्रम, और प्रदेशसक्रमका कथन किया है।
सक्रमके पश्चात् वेदक अधिकार है । इसमें आचार्य गुणधरने जो आशकासूत्र उपस्थित किये है उन सवका विवेचन चूर्णिसूत्र द्वारा किया गया है। वेदकके दो अनुयोगद्वार है-उदय और उदीरणा । पहली गाथा प्रकृति-उदीरणा और प्रकृतिउदयसे सम्बद्ध है। आगेकी गाथाएँ उदीरणासे सम्बद्ध होनेसे चूणिसूत्रकारने उदीरणाका ही कथन विस्तारसे किया है । अनुयोगद्वारोका क्रम आवश्यकतानुसार परिवर्तनसे सर्वत्र चलता है।
आगे उपयोगाधिकारमें आशङ्कासूत्रोको स्पष्ट करते हुए प्रत्येक कपायका उपयोगकाल अन्तमुहूर्त कहा है अर्थात् क्रोध आदिकी ओर उपयोग अन्तर्मुहूर्त काल तक रहता है । गाथामें पूछा गया है कि किस कपायका उपयोग काल किस कषायके उपयोगकालसे अधिक है ? इसके समाधानमें चूणिसूत्रकारने कहा है कि क्रोध कषायका काल मानकपायसे अधिक है। मायाकपायका काल क्रोधकषायसे अधिक है। लोभकपायका काल मायाकषायसे अधिक है । यह कथन गतिको लेकर भी किया है। जैसे नरक गतिमें लोभकपायका काल सबसे कम है। देवगतिमें क्रोधका काल नरकगतिके लोभके कालसे अधिक है आदि । कपायोंके अध्ययनके लिये यह अधिकार बहुत उपयोगी है।
सम्यक्त्व-अधिकारमें चूणिसूत्रकारने अध करण अपूर्वकरण, और अनिवृत्तिकरणका कथन किया है । इनके विना सम्यक्त्वकी प्राप्ति नहीं होती। दर्शनमोहक्षपणामें उसके प्रस्थापकका स्वरूप विस्तारसे कहा है। उसमें सम्यक्त्वप्रकृतिकी स्थितिकी सत्ताके सम्बन्धमें दो मतोका भी निर्देश चूर्णिकारने किया है। कहा है कितने ही आचार्य कहते है कि उस समय (अर्थात् सम्यक्मिथ्यात्वके एक आवली प्रमाण स्थितिसत्व शेप रहने पर) सम्यक्त्वप्रकृतिकी स्थिति सख्यात हजार वर्ष शेप रहती है। किन्तु प्रवाह्यमान उपदेशसे आठ वर्प प्रमाण शेष रहती है । अन्तिम दो अधिकारोमें चारित्रमोहकी उपशमना और क्षपणाके सम्बन्धमें विपुल सामग्री भरी हुई है। लिखा है-वेदक सम्यग्दृष्टि जीव अनन्तनुबन्धी कषायका विसयोजन किये बिना शेष कषायोका उपशम करनेमें प्रवृत्त नही हो सकता। अनन्तानुवन्धीका विसयोजन करने पर अन्तर्मुहूर्त काल तक अधःप्रवृत्त रहता है। फिर दर्शनमोहनीयका उपशम करके कषायोका उपशम करनेके लिये अध प्रवृत्तकरण करता है। चूणिसूत्रमें प्रश्न किया गया है कि उपशान्तकषाय वीतरागछद्मस्थ अवस्थित परिणामवाला होने पर भी क्यो गिरता है। उत्तर दिया है कि उपशमकालका क्षय हो जानेसे गिरता है। आगे उसका विस्तारसे कथन किया है।