SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनसाहित्य और इतिहास सं० १२११) में समाप्त की थी' और जो उन मेघचन्द्र विद्यदेवके शिष्य थे जिनका स्वर्गवास वि० ११७२ में हुआ था । यद्यपि इनका समय लगभग समीपका ही है, फिर भी निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि दोनों एक ही हैं जब तक कि पद्मनन्दिके गुरु वीरनन्दिके गुरु कौन थे, इसका पता न लग जाय । इस तरह पद्मप्रभ मलधारिदेवको विक्रमकी तेरहवीं सदीके प्रारंभका विद्वान् मानना चाहिए। पद्मप्रभदेवने अमृतचन्द्रसूरिके अनेक पद्योंको इस टीकामें उद्धृत किया है, इतना ही नहीं उनकी टीकापर अमृतचन्द्रकी टीकाओंका खूब प्रभाव भी है। जिस तरह अमृतचन्द्र अपनी टीकाओंमें जगह जगह मूलका अभिप्राय व्यक्त करने के बाद उपसंहार रूपमें अपनी ओरसे कलशरूपमें नये पद्य बनाकर उपस्थित करते हैं ठीक उसी तरह पद्मप्रभदेव भी । इससे अमृतचन्द्र उनसे पहलेके हैं । पद्मप्रभदेवने पृष्ठ ७२ में एक पद्य 'उक्तं च' रूपमें शुभचन्द्राचार्यके ज्ञानावका उद्धृत किया है और चूँकि ज्ञानार्णवमें अमृतचन्द्र के पुरुषार्थसिद्धयुपायका एक श्लोक 'उक्तं च' रूपमें उद्धृत है, अतएव शुभचन्द्र पद्मप्रभसे पहलके और अमृतचन्द्र शुभचन्द्रसे भी पहलेके हैं । __ पद्मप्रभदेवका पार्श्वनाथ स्तोत्र या लक्ष्मीस्तोत्र नामका एक छोटा-सा स्तोत्र भी मिलता है जो माणिकचन्द्र जैन-ग्रन्थमालाके सिद्धान्तसारादिसंग्रहमें प्रकाशित हो चुका है । संभव है, उसके कर्ता यही पद्मप्रभ मलधारिदेव हो । १ स्वस्तिश्रीमन्मेवचन्दत्रैविद्यदेवर श्रीपादप्रसादासादितात्मप्रभावसमस्तविद्याप्रभावसकल. दिग्वतिकीर्ति श्रीमद्वीरनन्दिसैद्धान्तिकचक्रवतिगलु शक वर्ष १०७६ श्रीमुखनामसंवत्सरे ज्येष्ठशुक्ल १ सोमवारदंदु तावु माडिदाचारसारके कर्णाटवृत्तिय माडिदपर । २-देखो पृ० ७, १९, २२, ३४, ३७, ४०, ४४, ६६, ६८, ७५, ७८, ८१, ८५, ९०, १२०, १२९, १३७, १३९, १५२ ।। ३-देखो पृ० ७२ ---तथा चोक्तं निष्क्रिय करणातीतं ध्यानध्येयविवर्जितम् । अन्तर्मुखं च यद्धयानं तच्छुक्लं योगिनं विदुः ॥-ज्ञानार्णव पृ० ४३१
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy