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परिशिष्ट
पउमचरिउके प्रारंभिक अंश
णमह णव-कमल-कोमल-मणहर-वर-बहल-कंति-सोहिल्लं । उसहस्स पायकमलं ससुरासुरवंदियं सिरसा ॥ १ ॥ चउमह-मुहम्मि सद्दो दती भद्दे च मणहरो अत्थो । विणि वि सयंभुकव्वे किं कीरइ कइयणो सेसो ॥ २ ॥ चउमुहएवस्स सद्दो सयंभुपवस्स मणहरा जीहा । भद्दस्स य गोग्गहणं अज्ज वि कइणो ण पावंति ॥ ३ ॥ जलकीलाए सयंभुं चउमुह एवं च गोग्गहकहाए । भहं च मच्छवहे अज वि कइणो ण पावति ।। ४ ।। तावच्चि य सच्छंदो भमइ अवन्भंस-मच्च मायंगो । जाव ण सयंभु वायरण-अंकुसो पडइ ।। ५ ॥ सच्छद्द-वियड-दाढो छंदालंकार-णहर-दुप्पिच्छो । वायरण-केसरड्ढो सयंभु-पंचाणणो जयउ ॥ ६ ॥ दीहर-समास-णालं सद्द दलं अथकेसरग्घविया ।
बुह-महुयर-पीयरसं संयंभु-कव्वुप्पलं जयउ ॥ ७ ॥ १ मंगलाचरणके इस पद्यके बाद और दूसरे पद्यके पहले सांगानेरवाली प्रतिमें कवि ईशानशयनके संस्कृत ( जिनेन्द्ररुद्राष्टक'के सात पद्य दिये हैं। एक श्लोक शायद छूट गया है। मालूम नहीं, इनकी यहाँ क्या जरूरत थी।
२ दूसरेसे छटे तकके पच पूनेकी प्रतिमें नहीं है, परन्तु सांगानेरवाली प्रतिमें हैं। ३ सांगानेरकी प्रतिमें 'दंती सदं च'। ४ · अत्थकेसरुद्धवियं ' पाठ पूनेकी प्रतिमें है।