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जैन रत्नाकर
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पचीस बोल (१) पहले बोले गति च्यार
(१) नरक गति (२) तियाति
(३) मनुष्य गति (४) देवांगति, (२) दूजे बोले जाति पाँच
(१) एकेन्द्रिय (२) द्वीन्द्रिय शीन्द्रिय
(४) चतुरिन्द्रिय (५) पञ्चेन्द्रिय (३) तीजे वोले काया छव
(२) पृथ्वीकाय (२) अप्काय (३) तेजसका
(8) वायुः काय (५) वनस्पतिकाय (६) त्रस काय (४) चौथे वाले इन्द्रियाँ पांच
(१) श्रोत्रेन्द्रिय (२) चक्षुरिन्द्रिय (३) घ्राणेन्द्रिय . (४) रसनेन्द्रिय (५) स्पर्शनेन्द्रिय ।। (५) पांचवें वोले पर्याप्ति छव
(१) आहार पर्याप्ति (२) शरीर पर्याप्ति (३) इन्द्रिय पर्याप्ति (४) श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति (५) भाषा पर्याप्ति
(६) मनः पर्याप्ति । .(६) छठे बोले प्राण दश
(१) श्रोत्रेन्द्रिय प्राण (२) चक्षुरिन्द्रिय प्राण (३) घ्राणेन्द्रिय प्राण (४) रसनेन्द्रिय प्राण (५) सर्शनेन्द्रिय