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रावणका दिग्विजय। onr ranamrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr
___ यमराजके ऐसे वचन सुनकर विद्याधर इन्द्रको बड़ा क्रोध आया; वह युद्ध करनेको तत्पर हुआ । परन्तु बलवान के साथ युद्ध करनेमें भीत, कुल-मंत्रियोंने, अनेक प्रकारकी युक्तियोंसे इन्द्रको समझाकर, उसे युद्ध करनेसे रोक दिया । इसलिए यमराजको सुरसंगीत नामके नगरका राजा बना इन्द्र स्थनुपुरमें रहकर पहिलेके समान ही विलासआनंद-करने लगा।
इधर पूर्ण पराक्रमी रावणने आदित्यरजाको किष्किंधापुरीका और ऋक्षरजाको ऋक्षपुरका राज्य दिया
और फिर देवताकी जैसे लोग स्तुति करते हैं वैसे ही बंधुओं और नगरजनोंके द्वाराकी हुई अपनी स्तुतिको सुनता हुआ आप लंकामें चला गया। इन्द्र जैसे अमरावतीमें रहकर राज्य करता है वैसे ही रावण लंकामें राज्य करने लगा।
खर विद्याधरके साथ सूर्पणखा का ब्याह । वानरोंके राजा आदित्यरजाकी स्त्री 'इंदुमालिनी' के गर्भसे एक बलवान पुत्र जन्मा । उसका नाम 'वाली' रक्खा गया। उग्र भुजबल धारी ‘वाली' जंबूद्वीपकी, समुद्रपर्यंत प्रदक्षिणा देताथा और सर्व चैत्योंकी वंदना करता था । आदित्यरजाके दो सन्तानें और हुई । एक लड़का और दूसरी लड़की । लड़केका नाम 'सुग्रीव ' था और लड़कीका श्रीप्रभा'। यह सबसे छोटी थी। ऋक्ष